यूपी सरकार के अवैध धर्मांतरण अध्यादेश को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर अंकुश और अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए अवैध धर्मांतरण अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका दाखिल कर अध्यादेश को असंवैधानिक घोषित करने और अथारटीज को उसे लागू न करने का निर्देश मांगा गया है।
By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Thu, 03 Dec 2020 04:49 PM (IST)
नई दिल्ली, माला दीक्षित। उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर अंकुश और अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए अवैध धर्मांतरण अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका दाखिल कर अध्यादेश को असंवैधानिक घोषित करने और अथारटीज को उसे लागू न करने का निर्देश मांगा गया है। यह याचिका लॉ स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश संविधान के तहत मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं। अध्यादेश का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जाएगा और अराजकता पैदा करेगा। यह कानून मनमाना है और बोलने और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर अंकुश और अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए अवैध धर्मांतरण अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका दाखिल कर अध्यादेश को असंवैधानिक घोषित करने और अथारटीज को उसे लागू न करने का निर्देश मांगा गया है।@JagranNews
— Mala Dixit (@mdixitjagran) December 3, 2020
बता दें कि उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 24 नवंबर को लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दी थी। हालांकि इसमें कहीं भी लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है लेकिन यह कहा गया है कि गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने पर एक्शन लिया जाएगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में धर्म धर्मांतरण की घटनाओं को लेकर यूपी सरकार ने बड़ा सख्त कदम उठाया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दी गई थी। इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी।