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SBI धोखाधड़ी मामले में जिसे अदालत ने कर दिया था मृत घोषित, 20 साल बाद CBI ने किया गिरफ्तार; कर चूका था दूसरी शादी

CBI ने बीते कई सालों से चल रहे एक मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। बता दें कि CBI ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में 20 साल से फरार घोषित अपराधी वी. चलपति राव को गिरफ्तार किया है जिसे यहां की एक अदालत ने कुछ साल पहले मृत करार दे दिया था। CBI ने बताया कि आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी जगह बदल रहा था।

By Versha Singh Edited By: Versha Singh Updated: Tue, 06 Aug 2024 12:22 PM (IST)
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बैंक धोखाधड़ी मामले में मृत आरोपी को CBI ने किया गिरफ्तार (फाइल फोटो)
पीटीआई, हैदराबाद। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में 20 साल से फरार घोषित अपराधी वी. चलपति राव को गिरफ्तार किया है जिसे यहां की एक अदालत ने कुछ साल पहले मृत करार दे दिया था।

सीबीआई ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वी. चलपति राव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी पहचान और जगह बार-बार बदली।

मई 2002 में सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ बैंक के साथ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया था। उस समय वह हैदराबाद में भारतीय स्टेट बैंक की चंदूलाल बिरादरी शाखा में कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम कर रहा था।

2004 से CBI को दे रहा था चकमा

सीबीआई ने 31 दिसंबर 2004 में दो आरोपपत्र दाखिल किए थे। आरोपी 2004 से लापता था।

धोखाधड़ी मामले में उसकी पत्नी भी आरोपी है। उसने हैदराबाद पुलिस में एक शिकायत दर्ज करायी थी। उसने राव के कथित तौर पर लापता होने के सात साल बाद उसे मृत घोषित करने के लिए दीवानी अदालत का भी रुख किया था।

इसके बाद हैदराबाद की एक दीवानी अदालत ने उसे मृत घोषित करने का आदेश दिया था।

आरोपी बार-बार अपनी जगह, मोबाइल नंबर और पहचान बदलता रहा। हालांकि, सीबीआई भी उसके पीछे लगी रही और आखिरकार उसे तमिलनाडु के एक गांव से दबोच लिया गया।

2007 में की दूसरी महिला से शादी

सीबीआई द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, आरोपी सलेम भाग गया था। वहां उसने एम. विनीत कुमार बनकर 2007 में एक महिला से शादी कर ली और आधार नंबर भी हासिल कर लिया।

सीबीआई को उसकी दूसरी पत्नी के जरिए पता चला कि वह अपनी पहली पत्नी से हुए बेटे के संपर्क में था। हालांकि, 2014 में वह बिना बताए सलेम छोड़कर चला गया और भोपाल पहुंचा जहां उसने ‘लोन रिकवरी एजेंट’ के तौर पर काम किया और फिर वह उत्तराखंड के रुद्रपुर चला गया जहां उसने एक विद्यालय में काम किया।

जब सीबीआई टीम रुद्रपुर पहुंची तो पता चला कि वह 2016 में फरार हो गया था और औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में चला गया। आश्रम में उसका नाम स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ था और वहां भी उसने आधार कार्ड बनवा लिया था। दिसंबर 2021 में उसने आश्रम से करीब 70 लाख रुपये की धोखाधड़ी की और वहां से चला गया।

10 बार बदला आरोपी ने अपना नंबर

फिर वह राजस्थान गया और इस साल आठ जुलाई तक वहां रहा। भरतपुर से वह तिरुनलवेली चला गया। इस दौरान उसने करीब 10 बार अपना मोबाइल नंबर बदला और उसकी समुद्र मार्ग से श्रीलंका भागने की योजना था।

आखिरकार उसे चार अगस्त को तिरुनेलवेली के नरसिंगानल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया गया जहां वह छिपा हुआ था। उसे एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया है जहां उसे 16 अगस्त तक रिमांड पर भेज दिया गया।

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