Karnataka: मंगलुरु में बढ़ रही हैं मोरल पुलिसिंग की घटनाएं, सामाजिक सद्भाव को पहुंच रही ठेस
कर्नाटक के मंगलुरु में लगातार मोरल पुलिसिंग की घटनाएं बढ़ रही है। जिसने सामाजिक सद्भाव को प्रभावित किया है। साल 2022 में शहर में मोरल पुलिसंग के 41 मामले दर्ज किए गए थे। तो वहीं 2021 में कुल 37 घटनाएं दर्ज की गई थी। (सांकेतिक तस्वीर)
मंगलुरु,पीटीआई। कर्नाटक के मंगलुरु में लगातार बढ़ती हुई मोरल पुलिसिंग की घटनाओं ने सामाजिक सद्भाव को प्रभावित किया है। पिछले कुछ वर्षों में मंगलुरु में मोरल पुलिसिंग की बढ़ती घटनाओं ने बंदरगाह शहर पर एक छाया डाली है, जिसे कभी महानगरीय संस्कृति के साथ एक उदार समाज के रूप में जाना जाता था। इस क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि दक्षिणपंथी संगठनों के विकास के बाद यहां सामाजिक सद्भाव में गिरावट आई है।
बजरंग दल ने महिलाओं का किया था विरोध
शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक मोरल पुलिसिंग ज्यादातर वहां होती है जहां बजरंग दल जैसे हिंदुत्ववादी संगठन मजबूत होते हैं, जिसने छात्रों सहित युवा पीढ़ी के मानस को प्रभावित किया है। हाल के दिनों में सबसे भयावह घटना पिछले साल 25 जुलाई को सामने आई थी जब बजरंग दल के कार्यकर्ता शहर के एक पब में महिलाओं के पार्टी करने का विरोध करते हुए घुस गए थे। उन्होंने वहां मौजूद लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया गया और मारपीट भी की है।
सबूतों की कमी के कारण नहीं हो पाती कार्रवाई
बजरंग दल द्वारा किए गए इस हमले ने सभी को 2009 में श्री राम सेना के सदस्यों द्वारा एक अन्य पब में लड़कियों पर कुख्यात हमले की याद दिला दी। पुलिस का कहना है कि दर्ज किए गए अधिकांश मामलों में आरोपी कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों की कमी के कारण बच जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि वे तभी हस्तक्षेप करते हैं जब पब और सार्वजनिक स्थानों पर अवैध गतिविधियों के बारे में शिकायतें उठाई जाती हैं।
'देश की संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए उठाते हैं कदम'
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और इसकी युवा शाखा बजरंग दल सहित दक्षिणपंथी संगठनों का दावा है कि उनके कार्यकर्ता केवल देश की संस्कृति और परंपरा की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं और युवा पीढ़ी को सार्वजनिक स्थानों पर गरिमापूर्ण व्यवहार के बारे में याद दिला रहे हैं। वीएचपी नेता शरण पंपवेल कहते हैं कि कार्यकर्ता देश की संस्कृति और सम्मान की रक्षा के लिए ही ऐसे विरोध प्रदर्शन करते हैं। उनका दावा है कि विभिन्न धर्मों के लोगों का पार्टी करना और शराब पीना हमारी संस्कृति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और कार्यकर्ता तभी कदम उठाते हैं जब जनता से शिकायतें मिलती हैं।
41 घटनाओं में से से 37 हिंदू रक्षकों ने, चार मुस्लिम सतर्कता समूहों ने दिया अंजाम
पुलिस ने तर्क दिया कि कई मामलों में शिकायत दर्ज होने पर गिरफ्तारियां की जाती हैं। तो कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि पीड़ित मामलों को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं। कर्नाटक सांप्रदायिक सद्भाव मंच और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के सदस्य सुरेश बी भट के अनुसार 2022 में दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में 41 मोरल पुलिसिंग के मामले दर्ज किए गए थे। इन घटनाओं में से 37 हिंदू रक्षकों द्वारा की गई थी जबकि चार मुस्लिम सतर्कता समूहों द्वारा की गई थीं।
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2021 में दर्ज हुए थे मोरल पुलिसिंग के 37 मामले
मोरल पुलिसिंग के मामलों की संख्या में भी वृद्धि हुई, क्योंकि 2021 में कुल 37 घटनाएं दर्ज की गई थी तो वहीं साल 2022 में कुल 41 की घटनाएं दर्ज किए गए थे। जबकि 2020 में ऐसे केवल नौ मामले सामने आए थे। मोरल पुलिसिंग के ऐसे मामलों में, अलग-अलग धर्मों के कपल्स को या तो हमला किया गया था या पुलिस को सौंप दिया गया था, भले ही दोनों पक्ष अपनी इच्छा से एक साथ थे।
मोरल पुलिसिंग में इन धाराओं का है प्रावधान
पुलिस ने बताया कि मोरल पुलिसिंग का कार्य भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की किसी विशेष धारा के अंतर्गत नहीं आता है। हालांकि, उनके कार्यों पर आईपीसी की कुछ धाराओं के तहत आरोप लग सकते हैं। पुलिस के मुताबिक मोरल पुलिसिंग की घटनाओं पर आईपीसी की धारा 354 (महिला का अपमान), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 354 (छेड़छाड़), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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