हानिकारक वस्तुओं की सूची में शामिल हो बीड़ी, प्रधानमंत्री से मांग
कैंसर अस्पतालों के प्रमुख कैंसर विशेषज्ञों ने जीएसटी काउंसिल की बैठक से पूर्व यह मांग उठाई है।
मुंबई, प्रेट्र : जाने-माने कैंसर रोग विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) व्यवस्था के तहत बीड़ी को हानिकारक वस्तुओं की सूची में शामिल करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि देश में धूमपान से जुड़ी मौतों में यह बेहद सस्ता तंबाकू उत्पाद अकेला सबसे बड़ा कारण है।
सरकार की ओर से वित्त पोषित नेशनल कैंसर ग्रिड (एनसीजी) के बैनर तले 108 कैंसर अस्पतालों के प्रमुख कैंसर विशेषज्ञों ने जीएसटी काउंसिल की बैठक से पूर्व यह मांग उठाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को दिल्ली में होने वाली इस बैठक में हानिकारक वस्तुओं समेत अन्य वस्तुओं पर जीएसटी की दरें तय किए जाने की संभावना है।
दरअसल, पिछले दिनों मीडिया में इस तरह की रिपोर्ट आईं थीं कि सरकार तंबाकू किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बीड़ी को अतिरिक्त उपकर के दायरे और हानिकारक वस्तुओं की सूची से बाहर रख सकती है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि अकेले बीड़ी पीने से हर साल छह लाख लोगों की मौत होती है जो हर तरह के कैंसर से जुड़ी मौतों का 60 प्रतिशत है।
बीड़ी समेत सभी तंबाकू उत्पादों को जीएसटी के तहत हानिकारक वस्तुओं की सूची में रखने और उन पर एक समान दर से कर लगाने की मांग करते हुए टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक आरए बाडवे ने कहा, 'तंबाकू उत्पादों पर वर्तमान कर (टैक्स) विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से सुझाए गए स्तर से बेहद कम है।
जीएसटी इस एतिहासिक भूल को सुधारने का एक सुनहरा मौका है।' इसी अस्पताल के कैंसर सर्जन और एनसीजी के संयोजक प्रमेश सीएस ने कहा, 'तंबाकू की वजह से हर तीसरे व्यक्ति की असमय मौत हो जाती है और बदकिस्मती से हर तीसरा व्यस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करता है।' पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से इस बात का खास तौर पर उल्लेख किया गया है कि 2011 में तंबाकू के उपयोग की कुल आर्थिक लागत करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 1.16 प्रतिशत थी। यह केंद्र और राज्यों के संयुक्त स्वास्थ्य बजट से 12 प्रतिशत ज्यादा थी। जबकि, तंबाकू से संग्रहित कुल उत्पाद शुल्क उक्त लागत का महज 17 प्रतिशत ही था।
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