लोकसभा चुनाव 2019 - गठबंधन वाली सीटों पर बढ़ा वोट प्रतिशत मगर नहीं मिली सीटें
लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब बसपा ने सपा से गठबंधन तोड़ लिया है और वो उपचुनाव अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है।
By Vinay TiwariEdited By: Updated: Wed, 05 Jun 2019 03:18 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश के सबसे बड़े राज्य में दो बड़ी पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए गठबंधन किया मगर उसका रिजल्ट उनकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। अब परिणाम आ जाने के बाद दोनों दल अपनी हार जीत का हिसाब किताब लगा रहे हैं। बसपा तो अपनी हार के लिए सपा को जिम्मेदार ठहरा रही है। सुप्रीमो मायावती का कहना है कि जो सोचकर उन्होंने सपा के साथ गठबंधन किया था वो वोट बैंक उनको नहीं मिल पाए इस वजह से वो उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं जीत पाई। बीते दो दिनों से सपा बसपा गठबंधन टूटने की कगार पर है। मायावती अब आने वाले उपचुनाव में अकेले ही ताल ठोंकने की तैयारी कर रही है। दो दिन पहले हुई बैठक में वो इसके संकेत दे चुकी हैं।
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में यादव वोट बीएसपी के पक्ष में ट्रांसफर नहीं हुए हैं इसलिए बीएसपी अब उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव में अकेले लड़ेगी। उन्होंने कहा कि शिवपाल यादव ने यादवों का वोट काटा है। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी तैयारी के बाद एसपी, बीएसपी और आरएलडी के बीच गठबंधन हुआ था। तीनों दलों ने यूपी में 50 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया था। लेकिन लोकसभा चुनावों के परिणाम उम्मीदों के उलट रहे, बीएसपी केवल 10 सीटों पर ही जीत सकी जबकि एसपी को केवल 5 सीटें मिलीं। इतना ही नहीं सपा के दुर्ग कहे जाने वाले कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद में मुलायम परिवार के सदस्य तक चुनाव हार गए। उनको भी इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी।
कई लोगों का यह भी कहना है कि गठबंधन के सीट बंटवारे में मायावती ने मन मुताबिक सीटें ले लीं। वोटों के अदान-प्रदान के लहजे से देखें तो जिन 10 सीटों पर बसपा ने जीत दर्ज की है, वहां सपा 2014 में दूसरे स्थान पर थी। इसी कारण सपा को असफलता मिली। नगीना, बिजनौर, श्रावस्ती, गाजीपुर सीटों पर सपा के पक्ष में समीकरण था। एक दूसरा बड़ा कारण गठबंधन की केमेस्ट्री जमीन तक नहीं पहुंच पाई जिसका नतीजा ये रहा। चुनाव के दौरान रैलियों और सभाओं में जो भीड़ उम़ड़ी उसको देखकर इन्हें लगा कि हमारे वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर हो जाएंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। चुनावी पंडित हार जीत का गणित लगाते रहे मगर परिणाम इसके एकदम उलट आए।
मायावती को यह मालूम था कि मुस्लिम वोटरों पर मुलायम की वजह से सपा की अच्छी पकड़ है। इसका फायदा मायावती को हुआ। गठबंधन के बाद मायावती ने अपने हिसाब से सीटें ली, उन्होंने जीतने वाली सीटें अपने खाते में ले ली। इसके बाद भी कई सीटों पर बसपा उम्मीदवार बहुत मामूली अंतर से हार गए। इन सीटों में मेरठ और मछली शहर शामिल हैं। मछली शहर में बसपा उम्मीदवार टी. राम भाजपा प्रतिद्वंद्वी बी.पी. सरोस से मात्र 181 मतों से हार गए। बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने 64 सीटों पर जीत दर्ज की। इस बार के लोकसभा चुनाव में बीएसपी 38, एसपी 37 और आरएलडी 3 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ी मगर नतीजा खराब रहा। गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी। अमेठी सीट भी कांग्रेस हार गई, यहां भाजपा ने जीत हासिल की।
तीनों पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए एक नारा भी दिया था जिसमें एक भी वोट ना जाने पाएं, एक भी वोट ना बटने पाए, का स्लोगन दिया गया था। इसका मतलब था कि मुस्लिम, यादव, दलित और जाट वोट मिलकर चुनाव जीतवा देंगे। अब यदि बसपा को दी गई सीटों पर वोट बैंक की चर्चा करें तो मात्र एक सीट पर ही उनको कम वोट मिले। बाकी 37 सीटों पर वोट प्रतिशत बढ़ा हुआ रहा है। साल 2014 में सहारनपुर में 19.67 फीसदी वोट मिले थे जबकि साल 2019 में 41.74 वोट मिले। इसी तरह से बाकी के अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी इसी तरह से वोट फीसद में बढ़ोतरी हुई मगर सीटें हासिल नहीं हो पाई।
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लोकसभा साल 2014 साल 2019सहारनपुर 19.67 41.74
बिजनौर 21.7 50.97नगीना 26.06 56.31
अमरोहा 14.87 51.41मेरठ 27 47.8
गौतमबुद्धनगर 16.53 35.46बुलंदशहर 18.06 34.82
अलीगढ़ 21.4 36.71आगरा 26.48 38.01फतेहपुर सीकरी 26.18 16.2आंवला 19.1 40.27शाहजहांपुर 25.62 35.46धौरहरा 22.13 33.12सीतापुर 35.69 38.86मिश्रीख 32.58 42.25मोहनलाल गंज 27.75 42.51सुल्तानपुर 23.98 44.45प्रतापगढ़ 23.2 34.83फरूर्खाबाद 11.8 34.72अकबरपुर 20.85 29.86जालौन 23.57 37.47हमीरपुर 18.03 29.96फतेहपुर 28.26 35.24अंबेडकर नगर 28.29 51.75कैसरगंज 15.55 32.58श्रावस्ती 19.88 44.31डुमरियागंज 20.88 39.27बस्ती 27.06 41.8संत कबीर नगर 24.79 40.61देवरिया 23.77 32.57बांसगांव 26.02 40.57लालगंज 26.01 54.01घोसी 22.48 50.3सलेमपुर 18.68 38.52जौनपुर 21.93 50.08मछलीशहर 26.66 47.17गाजीपुर 24.49 51.2भदौही 25 44.87नोट- साल 2014 के मुकाबले 2019 में बढ़े वोट फीसद।
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