भारत और अमेरिका मिल कर टैंक और दूसरे युद्धक वाहनों का निर्माण करेंगे। इस बारे में प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से ही आया था जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया है। 10 नवंबर 2023 को दिल्ली में दोनो देशों के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता में इस बारे में बात हुई। इसमें आपसी सहयोग से थल सेना में इस्तेमाल होने वाले युद्धक वाहनों को विकसित किया जाएगा।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 10 Nov 2023 08:21 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका मिल कर टैंक और दूसरे युद्धक वाहनों का निर्माण करेंगे। इस बारे में प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से ही आया था जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया है। 10 नवंबर, 2023 को दिल्ली में दोनो देशों के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता में इस बारे में बात हुई और फैसला यह किया गया कि आपसी सहयोग से थल सेना में इस्तेमाल होने वाले युद्धक वाहनों (टैंक आदि) को विकसित किया जाएगा और सह-निर्माण किया जाएगा।
इसके लिए दोनो देशों ने एक संयुक्त कार्य समूह गठित करने का भी फैसला किया है। भारत-अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच हुई इस बैठक में रक्षा सहयोग को लेकर कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। वार्ता के बाद प्रेस कांफ्रेंस में देश के रक्षा सचिव गिरधर अरमाने ने इस बात की जानकारी दी और बाद में अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने भी पत्रकारों से अलग से हुई एक बातचीत में इसकी पुष्टि की।
बैठक में शीर्ष अधिकारी शामिल रहे
टू प्लस टू वार्ता में ऑस्टिन के अलावा अमेरिका टीम में विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन, भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी के अलावा कुछ दूसरे अधिकारी थे। जबकि, भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश सचिव विनय क्वात्रा, रक्षा सचिव अरमाने, अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधु और कुछ दूसरे अधिकारी शामिल थे।
हम साथ मिल कर युद्धक वाहन बनाना चाहते हैं- ऑस्टिन
ऑस्टिन ने कहा कि, हम साथ मिल कर एक युद्धक वाहन बनाना चाहते हैं और यह बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना होगी। भारत को अत्याधुनिक एमक्यू-9बी ड्रोन देने के सवाल पर ऑस्टिन ने कहा कि इस बारे में सही समय पर घोषणा होगी। जहां तक अमेरिका की बात है तो वह भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत बनाने में जो भी मदद की दरकार है उसे उपलब्ध करा रहा है। साथ ही अमेरिका यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि इसमें देरी ना हो।
भारत ने सीएमएफ में शामिल होने की रजामंदी दी
बता दें कि टू प्लस टू वार्ता से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन से द्विपक्षीय वार्ता भी हुई है। इसकी एक खास बात यह रही कि भारत ने बहरीन मुख्यालय स्थित कंबाइंड मैरीटाइम फोर्सेस (सीएमएफ) में शामिल होने की रजामंदी जता दी है। अमेरिका और इसके कुछ प्रमुख नाटो देशों की अगुवाई में गठित 38 देशों का यह संगठन अरब सागर, हिंद सागर, ओमान की खाड़ी, लाल सागर और एडन की खाड़ी क्षेत्र में कानून सम्मत व्यवस्था कायम रखने का काम करता है।
भारत अब इसका पूर्णकालिक सदस्य होगा
इसके अलावा यूके, यूएसए, जर्मनी, ग्रीस, इटली, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सउदी अरब, ओमान, बहरीन, थाइलैंड, तुर्किये, पाकिस्तान जैसे देश इसके सदस्य हैं। भारत अब इसका पूर्णकालिक सदस्य होगा। यह सदस्य देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में गैर कानूनी गतिविधियों के रोकथाम के अलावा आपसी सहयोग का भी मंच प्रदान करता है।उधर, रक्षा मंत्री सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में मारे गये अमेरिकी सैनिकों के कुछ सामान अमेरिकी रक्षा सचिव को भेंट किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई अमेरिकी सैनिक जापान के साथ युद्ध करते हुए असम के आस पास मारे गये थे। उनकी वर्दियां और दूसरे सामान बाद में मिले थे, जिसे अभी तक सुरक्षित करके रखा गया है। भारत ने अब विशेष संवेदना दिखाते हुए इन्हें अमेरिका को लौटा रहा है।
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