अमेरिका से खरीदे जाएंगे 31 प्रीडेटर ड्रोन, देश में बनेंगी दो परमाणु पनडुब्बियां; कैबिनेट समिति ने दिखाई हरी झंडी
सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा करने के मकसद से अमेरिका से 31 प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन की खरीद और परमाणु ऊर्जा से संचालित दो पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण संबंधी सौदे को बुधवार को मंजूरी दे दी। यह सौदा लंबे समय से लटका हुआ था और भारतीय नौसेना इस पर जोर दे रही थी।
एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने स्वदेशी रूप से दो परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण और अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए प्रमुख सौदों को बुधवार को मंजूरी दे दी। रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने कुल 80,000 करोड़ के सोदों को मंजूरी दी।
भारतीय नौसेना को दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां मिलेंगी जोकि हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने में मदद करेंगी। सूत्रों के अनुसार विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में दो पनडुब्बियों के निर्माण का सौदा लगभग 45,000 करोड़ रुपये का है और इसमें लार्सन एंड टूब्रो जैसी निजी क्षेत्र की फर्मों की प्रमुख भागीदारी होगी।
सौदा लंबे समय से लटका हुआ था
यह सौदा लंबे समय से लटका हुआ था और भारतीय नौसेना इस पर जोर दे रही थी क्योंकि यह पानी के नीचे की क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता थी। भारत की स्वदेशी पनडुब्बी शामिल करने की योजना के तहत दीर्घावधि में ऐसी छह पनडुब्बियां अपने बेड़े में शामिल करने की योजना है।अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदे
महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल परियोजना के तहत बनने जा रही ये पनडुब्बी उसी स्थान पर अरिहंत श्रेणी के तहत बनाई जा रही पांच परमाणु पनडुब्बियों से अलग हैं। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा मंजूर किया गया दूसरा बड़ा सौदा अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का है।यह सौदा भारत-अमेरिका के बीच विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत है। इस सौदे को 31 अक्टूबर से पहले मंजूरी मिलनी थी क्योंकि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता तभी तक थी। अब इस पर अगले कुछ दिनों में ही हस्ताक्षर होंगे।
वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे
उन्होंने बताया कि अनुबंध के अनुसार, रक्षा बलों को सौदे पर हस्ताक्षर करने के चार साल बाद ड्रोन मिलने शुरू हो जाएंगे। भारतीय नौसेना को 31 में से 15 ड्रोन मिलेंगे। थल सेना और वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।