मानसून की बेरुखी से सरकार सतर्क, उत्पादन घटने की आशंका से चावल निर्यात पर लगी रोक
India bans export of broken rice मानसून की बेरुखी खरीफ सीजन में धान की खेती का घटा रकबा-100 से 120 लाख टन तक उत्पादन में गिरावट का अनुमान-भारत से 150 से अधिक देश को होता है चावल का निर्यात।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 08:51 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मानसून की बेरुखी से चालू खरीफ सीजन में चावल उत्पादन में भारी कमी आने और घरेलू मांग में इजाफा होने के मद्देनजर सरकार ने चावल निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है। गैर बासमती चावल निर्यात पर जहां 20 फीसद तक का निर्यात शुल्क लगा दिया गया है तो वहीं ब्रोकन चावल (चावल के टुकड़े) के निर्यात पर रोक लगा दी गई है।
ब्रोकन चावल के निर्यात पर क्यों लगाया गया रोक
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने पत्रकारों से औपचारिक बातचीत में बताया कि घरेलू खाद्य सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। सचिव पांडेय ने चावल निर्यात पर प्रतिबंध के बारे में बताया कि घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित बनाए रखना सरकार की पहली प्राथमिकता है। ब्रोकन चावल की मांग पशुचारा और एथनाल उत्पादन में है। पांडेय ने कहा कि घरेलू पैदावार में कमी के अनुमान के बावजूद भारत में चावल का पर्याप्त स्टॉक है। इसी के मद्देनजर सरकार ने चावल निर्यात नीति में संशोधन किया है।
सालाना 50 से 60 लाख टन ब्रोकन चावल का होता है उत्पादन
भारत में सालाना 50 से 60 लाख टन ब्रोकन चावल का उत्पादन होता है, जिसका उपयोग पॉल्ट्री और पशुचारा के रूप में होता है। लेकिन ब्रोकन चावल की सर्वाधिक मांग एथनाल उत्पादन में होने लगा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में धान की रोपाई का रकबा 383.99 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले सीजन के मुकाबले 5.62 फीसद कम है। मानसून की कम बारिश से धान उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में चावल की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है।चावल की पैदावार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसद
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कृषि मंत्राल के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि रकबा घटने और उत्पादकता में कमी की आशंका से चालू सीजन में धान की पैदावार में 120 लाख टन तक की कमी दर्ज की जा सकती है। चावल की पैदावार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसद है। चीन के बाद यहां सर्वाधिक चावल का उत्पादन होता है।