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साइबर ठगी पर केंद्र सरकार का बड़ा एक्‍शन, 17,000 से ज्‍यादा वाट्सएप अकाउंट किए ब्लॉक

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी के मामले में बड़ा एक्शन लिया है। हाल ही में बताया जा रहा है कि भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और दूरसंचार विभाग (DoT) ने दक्षिण पूर्व एशिया के साइबर अपराधियों की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले कम से कम 17000 वाट्सएप खातों को ब्लॉक कर दिया है।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Fri, 22 Nov 2024 08:43 AM (IST)
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साइबर ठगी पर MHA की सख्ती (फाइल फोटो)
एजेंसी, नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी के मामले में बड़ा एक्शन लिया है। हाल ही में बताया जा रहा है कि भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और दूरसंचार विभाग (DoT) ने दक्षिण पूर्व एशिया के साइबर अपराधियों की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले कम से कम 17,000 व्हाट्सएप खातों को ब्लॉक कर दिया है।

एक्स पर गृह मंत्रालय की तरफ से एक पोस्ट भी किया गया है, गृह मंत्रालय की तरफ से संचालित साइबरदोस्त ने बताया कि इसका उद्देश्य आपराधिक नेटवर्क को बाधित करना और भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना है। वहीं सूत्रों के मुताबिक, डिजिटल अरेस्ट करने वाले जालसाजों के आईपीडीआर (इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड) का ठिकाना कंबोडिया, म्यांमार और वियतनाम है। यहां उनका इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा था।

दक्षिण पूर्व एशिया से होती है 45 प्रतिशत धोखाधड़ी 

इस साल मई में, गृह मंत्रालय ने कंबोडिया, म्यांमार, लाओस-फिलीपींस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से होने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठित साइबर अपराध में बड़ी बढ़ोतरी की प्रतिक्रिया में एक अंतर-मंत्रालयी समिति की स्थापना की।भारत में लगभग 45 प्रतिशत साइबर-वित्तीय धोखाधड़ी दक्षिण पूर्व एशिया के स्थानों से होती हैं। ये अपराध अधिक खतरनाक और बड़े हो गए हैं, जिनमें पीड़ितों को बहुत सारा पैसा खर्च करना पड़ता है।

I4C ने हैकर्स की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। कंबोडियाई शहर में विरोध प्रदर्शन कर रहे भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें घर वापस भेजने और सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाए गए।

क्या है 14C?

I4C नागरिकों के लिए साइबर अपराध से संबंधित सभी मुद्दों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय में सुधार करना, साइबर अपराध से निपटने के लिए भारत की क्षमता में बदलाव लाना और नागरिक संतुष्टि के स्तर में सुधार करना शामिल है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र योजना को 5 अक्टूबर, 2018 को मंजूरी दी गई थी।

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