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चीन सीमा पर तेजी से हो रहा बुनियादी ढांचे का विकास, जयशंकर का दावा- सरदार पटेल के इस प्रस्ताव को नेहरू ने किया था खारिज

चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए देश का बजट नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार बढ़ा है। भारत को 1962 के युद्ध से सबक लेना चाहिए था लेकिन 2014 तक सीमा बुनियादी ढांचे के विकास में कोई प्रगति नहीं हुई थी। मोदी सरकार ने इसके लिए बजट 3500 करोड़ से बढ़ाकर 14500 करोड़ किया। यह दावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Fri, 12 Apr 2024 11:45 PM (IST)
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चीन सीमा पर तेजी से हो रहा बुनियादी ढांचे का विकास। फाइल फोटो।

पीटीआई, पुणे। चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए देश का बजट नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार बढ़ा है। भारत को 1962 के युद्ध से सबक लेना चाहिए था लेकिन 2014 तक सीमा बुनियादी ढांचे के विकास में कोई प्रगति नहीं हुई थी। मोदी सरकार ने इसके लिए बजट 3500 करोड़ से बढ़ाकर 14,500 करोड़ किया। यह दावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया।

चीन पर क्या बोले विदेश मंत्री?

वह शुक्रवार को एक कार्यक्रम में युवाओं से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत को यथार्थवादी, जमीनी और व्यावहारिक नीति अपनी चाहिए। चीन हमारा पड़ोसी है और चीन हो अथवा अन्य कोई पड़ोसी देश सीमा समझौता एक तरह की चुनौती है।

हमनें इतिहास से लिया सबकः जयशंकर

उन्होंने कहा यदि हम इतिहास से सबक नहीं लेते हैं तो हम बार-बार गलतियां करेंगे। चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा किया और उस समय तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र में कहा कि वह चीन के प्रति देश की नीति को लेकर बहुत चिंतित हैं।

सरदार पटेल ने जवाहरलाल नेहरू को किया था आगाह

पटेल ने चीन के प्रति आगाह किया था लेकिन नेहरू ने उन्हें खारिज कर दिया। विदेश मंत्री ने बताया कि उस समय नेहरू ने दावा किया था कि चीन भारत पर हमला करने के लिए कभी भी हिमालय पार नहीं करेगा। उन्होंने पटेल को व्यवहारिक, जमीनी और यथार्थवादी व्यक्ति तो नेहरू को आदर्शवादी और वामपंथी करार दिया।

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