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स्वच्छ ईंधन की ओर भारत ने बढ़ाया एक और कदम, देश में पहली बार ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली बस की शुरुआत

भारत के सार्वजनिक वाहन काफी हद तक डीजल आधारित व्यवस्था से चल रहे हैं। वर्ष 2022 में भारत मे 99 अरब लीटर डीजल की खपत हुई थी जिसके वर्ष 2023 में बढ़ कर 109 अरब लीटर हो जाने की संभावना है। केंद्र सरकार ने हाल ही में 169 शहरों में 10 हजार ई-बसें चलाने के लिए एक पीएम ई बस सेवा योजना को लांच किया है।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Mon, 25 Sep 2023 07:43 PM (IST)
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भारत के सार्वजनिक वाहन काफी हद तक डीजल आधारित व्यवस्था से चल रहे हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: देश में सार्वजनिक वाहनों और लंबी दूरी के ट्रांसपोर्ट साधनों को प्रदूषण के एक प्रमुख विलेन के तौर पर देखा जाता है। वजह यह है कि देश में जितना डीजल इस्तेमाल होता है उसका 70 फीसद इन दोनों में किया जाता है। लेकिन सोमवार को नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास पहली बार हाइड्रोजन सेल से चालित लंबी दूरी के बसों को चलाया गया। इन बसों से ध्वनि प्रदूषण नगण्य होती है और इनसे कोई कार्बन उत्सर्जित भी नहीं होता।

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IOC करेगा बसों का संचालन

टाटा मोटर्स की तरफ से चार वर्षों के शोध व अनुसंधान से तैयार इन बसों को इंडियन आयल कार्पोरेशन संचालित करेगी। ये भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर को ही नहीं बल्कि देश की ऊर्जा इकोनमी को किस तरह से प्रभावित कर सकते हैं, इसे पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के इस कथन से समझा जा सकता है, 'अगर यह प्रयोग सफल होता है तो भारत ऊर्जा आयातक की जगह साफ व स्वच्छ हाइड्रोजन इनर्जी के निर्यातक के तौर पर स्थापित हो सकता है।'

देश में डीजल की ज्यादा खपत

भारत के सार्वजनिक वाहन काफी हद तक डीजल आधारित व्यवस्था से चल रहे हैं। वर्ष 2022 में भारत मे 99 अरब लीटर डीजल की खपत हुई थी जिसके वर्ष 2023 में बढ़ कर 109 अरब लीटर हो जाने की संभावना है। केंद्र सरकार ने हाल ही में 169 शहरों में 10 हजार ई-बसें चलाने के लिए एक 'पीएम ई बस सेवा योजना' को लांच किया है। लेकिन इलेक्टि्रक बसों की अपनी सीमाएं हैं और इनके लिए बैट्री आपूर्ति की चुनौती बड़ी है। साथ ही इलेक्टि्रक बसों की बैट्रियों के निर्माण और इनके निस्तारण से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर बहस जारी है। ऐसे में टाटा मोटर्स की तरफ से तैयार इन बसों को सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया के सार्वजनिक वाहनों की तस्वीर बदल सकती है।

विश्व की सबसे स्वच्छ यातायात सुविधा

पेट्रोलियम मंत्री पुरी इनके बारे में बताते हैं कि इनमें जो बैट्रियां लगी हुई हैं वो ईंधन बनाने के लिए हाइड्रोजन और हवा का इस्तेमाल करती हैं। यह दुनिया की सबसे स्वच्छ यातायात सुविधा है क्योंकि इससे किसी भी तरह का कार्बन पर्यावरण में नहीं जाता। इसकी एक दूसरी बड़ी खासियत यह है कि इसे बहुत ही जल्दी चार्ज किया जा सकता है जबकि इलेक्टि्रक वाहनों की बैट्री को चार्ज करने में समय लगता है। इसके अलावा यह एक किलो हाइड्रोजन से 12 किलोमीटर चल बसों को चलाया जा सकता है जबकि प्रति लीटर डीजल से भारी ट्रांसपोर्ट वाहन महज 2.5 या 3 किलोमीटर चल पाते हैं।

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का ऐलान

पुरी ने बताया कि जनवरी, 2023 में केंद्र सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का ऐलान किया था और पूरे देश में इसके तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काम हो रहा है। अगले दो दशकों तक दुनिया में जिनती ऊर्जा की मांग होगी उसका एक चौथाई हाइड्रोजन और बायोफ्यूल से पूरा किया जाएगा। भारत इन दोनो क्षेत्रों में विश्व का प्रमुख हब के तौर पर उभर रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन के सबसे बड़े निर्यातक के तौर पर भारत स्थापित होगा। वर्ष 2050 तक हाइड्रोजन की वैश्विक मांग 50 से 80 करोड़ टन होगा जिसमें 25-28 करोड़ टन मांग भारत में ही होगी। हाइड्रोजन सेल से चालित बसों को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने में अभी देरी है।

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सार्वजनिकों वाहनों की संख्या 20 लाख

देश में कुल सार्वजनिकों वाहनों की संख्या 20 लाख के करीब है। इनमें से तीन लाख ही सरकारी क्षेत्र की है। साफ है कि हाइड्रोजन सेल के व्यापक इस्तेमाल को लेकर अभी काफी लंबी दूरी तय करनी है। अगले कुछ हफ्तों में दिल्ली राष्ट्रीय क्षेत्र में 15 बसें चलाई जाएंगी। इनकी सफलता को देखते हुए दूसरे राज्य सरकारों की तरफ से इनकी खरीद के लिए और ज्यादा आर्डर टाटा मोटर्स को मिलने की संभावना है। बहरहाल, देश में ट्रांसपोर्ट सेक्टर में इसे हाइड्रोजन इकोनमी के शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है।