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मोटे अनाज का विश्व गुरु बन सकता है भारत, दिल्ली में तीन से पांच नवंबर तक होगा व‌र्ल्ड फूड इंडिया का आयोजन

भारत दुनिया का 40 प्रतिशत मोटा अनाज उत्पादन करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया तो भारत में मोटे अनाज के उत्पादन का प्रयास तेज कर दिया गया है। इसे कई स्तरों पर प्रोत्साहित किया जाने लगा है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 11 Mar 2023 04:30 AM (IST)
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मोटे अनाज का विश्व गुरु बन सकता है भारत।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत दुनिया का 40 प्रतिशत मोटा अनाज उत्पादन करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया तो भारत में मोटे अनाज के उत्पादन का प्रयास तेज कर दिया गया है। इसे कई स्तरों पर प्रोत्साहित किया जाने लगा है। निर्यात की संभावनाओं को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी ब्रांडिंग की तैयारी है। इसी उद्देश्य से छह वर्ष बाद दिल्ली के प्रगति मैदान में तीन से पांच नवंबर तक व‌र्ल्ड फूड इंडिया का आयोजन किया जा रहा है।

निवेश को गति देने के लिए सौ से अधिक देशों के निवेशक लेंगे भाग

खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित यह अबतक का सबसे बड़ा सम्मेलन और मोटे अनाज के मुद्दे पर संवाद और सहयोग का बड़ा मंच होगा। इसके माध्यम से भारत वैश्विक खाद्य परिदृश्य पर मजबूती के साथ आगे बढ़ सकेगा। निवेश को गति देने के लिए इसमें सौ से ज्यादा देशों के उत्पादक, जानकार, स्टार्टअप एवं निवेशक भाग लेंगे।

पीएम मोदी कर सकते हैं कार्यक्रम का उद्घाटन

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर सकते हैं। इसके पहले 2017 में भारत में व‌र्ल्ड फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया था, जिसमें 67 देशों के 75 हजार से ज्यादा लोगों की भागीदारी हुई थी। इस बार भी खाद्य प्रसंस्करण में विदेशी निवेश के अवसर उपलब्ध होने की संभावना है। इसी के तहत कार्यक्रम में घरेलू और वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित किया जा रहा है। अपने देश में यह सेक्टर प्रतिवर्ष 8.3 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है।

12 प्रतिशत लोग कर रहे हैं इसमें काम

देश के निर्माण क्षेत्र के 12 प्रतिशत लोग इसमें काम कर रहे हैं। तीस से भी ज्यादा तरह के उद्योग इससे संबंधित हैं। ऐसे में भारत के उत्पाद को अन्य देशों में पहुंचाने में यह आयोजन मददगार बन सकता है। अनुमान है कि भारत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से संबंधित अपने विभिन्न कारोबार को प्रतिवर्ष चार सौ अरब डालर तक ले जा सकता है। भारत ने दुनिया के सामने प्रस्ताव रखा है कि हम खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार के माध्यम से दुनिया की मांग को पूरा कर सकते हैं।