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India-Canada Ties: भारत नहीं दिखाएगा नरमी, UN मानवाधिकार परिषद की बैठक में कनाडा को सुनाई खरी-खरी

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की बैठक में भी भारत ने साफ तौर पर कनाडा को कहा कि उसे अतिवाद फैलाने वाले समूहों पर रोक लगाानी होगी और अभिव्यक्ति की आजादी के हो रहे दुरूपयोग को भी रोकना होगा।यूएनएचआरसी की यह बैठक कनाडा में मानवाधिकार की स्थिति की समीक्षा को लेकर ही थी जिसमें भारतीय प्रतिनिधि ने भारत की मौजूदा चिंताओं को सामने रखने में कोई कोताही नहीं की है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 13 Nov 2023 08:48 PM (IST)
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संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की बैठक में भारत ने कनाडा को सुनाई खरी-खरी।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कनाडा को लेकर भारतीय कूटनीति के रवैये में कोई भी नरमी आने के संकेत नहीं है। पिछले शुक्रवार (10 अक्टूबर) को अमेरिकी के साथ 2 प्लस 2 वार्ता में भारत ने दो टूक साफ कर दिया था कि कनाडा के साथ कूटनीतिक विवाद को लेकर वह अपने रूख पर अडिग है।

अतिवाद फैलाने वाले समूहों पर लगानी होगी रोक

वहीं, अब संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की बैठक में भी भारत ने साफ तौर पर कनाडा को कहा कि उसे अतिवाद फैलाने वाले समूहों पर रोक लगाानी होगी और अभिव्यक्ति की आजादी के हो रहे दुरूपयोग को भी रोकना होगा। यूएनएचआरसी की यह बैठक कनाडा में मानवाधिकार की स्थिति की समीक्षा को लेकर ही थी, जिसमें भारतीय प्रतिनिधि ने भारत की मौजूदा चिंताओं को सामने रखने में कोई कोताही नहीं की है। कनाडा की तरफ से भी इस तरह के संकेत नहीं है कि वह मौजूदा तनााव को अपनी तरफ से खत्म करने को लेकर कोई नरमी दिखा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय कानूनों का मनमाने तरीके से इस्तेमाल होगा खतरनाक

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो ने भारत की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि किसी भी बड़े देश को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का मनमाने तरीके से इस्तेमाल की इजाजत देना खतरनाक होगा। यूएनएचआरसी की बैठक में कनाडा सरकार की तरफ से मानवाधिकार की स्थिति पर रिपोर्ट भी सौंपी गई है।

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मानवाधिकार की स्थिति पर रिपोर्ट का भारत ने किया स्वागत

भारतीय प्रतिनिधि ने इसका स्वागत किया और इसमें कुछ सुधार के सुझाव दिए। पहला सुझाव यह था कि अभिव्यक्ति की आजादी के गलत इस्तेमाल को रोका जाए ताकि अतिवाद को बढ़ावा देने वाले घरेलू समूहों पर रोक लगाई जा सके। एक अन्य सुझाव यह है कि अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर हमले को रोकने के लिए कदम उठाए जाए और नफरत फैलाने वाले भाषणों पर रोक लगाई जाए। इन सुझावों को अमल में लाने के लिए कनाडा को अपने स्थानीय कानून में भी संशोधन करना होगा।

भारत के उक्त तीनों सुझाव हाल के महीनों में कनाडा के विभिन्न शहरों में भारत विरोधी गतिविधियों से संबंधित है। खालिस्तान समर्थकों ने ना सिर्फ हिंदुओं के मंदिरों को नुकसान पहुंचाया है बल्कि सार्वजनिक स्थलों पर भारतीय उच्चायुक्त व दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों को नुकसान पहुंचाने वाले पोस्टर लगाये गये हैं।

कनाडा को लेकर नहीं बदला भारत का रुख

कनाडा को लेकर भारत के सख्त रवैये में किसी तरह का बदलाव नहीं आने के संकेत इस बात से भी मिल रहा है कि अमेरिका समेत कई देशों के सुझाव आने के बावजूद कनाडा के जिन 41 राजनयिकों को निष्कासित किया गया है, अभी तक उनकी वापसी को लेकर भारत की तरफ से कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया गया है।

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अमेरिका ने भारत के सामने उठाया कनाडा का मुद्दा

अमेरिका व भारत के विदेश व रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में हुई '2 प्लस 2 वार्ता' में अमेरिका ने इस मुद्दे को उठाया था। भारत का जवाब साफ था कि यह फैसला पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उठाया गया है। साथ ही भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि कनाडा सरकार लगातार उसके हितों को अनदेखी कर रही है। खालिस्तान समर्थक नेता जी एस पनून की तरफ से भारतीय विमानों को लेकर जो धमकियां दी है, भारतीय नेताओं ने अमेरिका के समक्ष उसे भी रखा।

कनाडा का तेवर अभी तक नहीं पड़ा नरम

उधर, कनाडा का रवैया भी कोई नरम पड़ता नहीं दिख रहा। रविवार (12 नवंबर, 2023) को संवाददाताओं से बात करते हुए पीएम जस्टिन ट्रुडो ने फिर आरोप लगाया कि खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ है और यह कनाडा के लिए बहुत ही गंभीर बात है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बड़े देशों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने की छूट दी गई तो विश्व बहुत ही खतरनाक जगह बन जाएगा।