खालिस्तान समर्थक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक समर्थन की आड़ लेकर करीब 50 साल से कनाडा की धरती से खुलेआम अपनी गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। कनाडा इन चरमपंथियों के आतंक फैलाने के अलावा हिंसा और नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त रहने पर चुप्पी साध लेता है। दूसरे शब्दों में कहें तो कनाडा के नरम रुख से इन अलगाववादियों के हौसले बुलंद हैं।
By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Tue, 26 Sep 2023 10:29 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। खालिस्तान समर्थक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक समर्थन की आड़ लेकर करीब 50 साल से कनाडा की धरती से खुलेआम अपनी गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। कनाडा इन चरमपंथियों के आतंक फैलाने के अलावा हिंसा और नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त रहने पर चुप्पी साध लेता है।
अलगाववादियों के हौसले हैं बुलंद
दूसरे शब्दों में कहें तो कनाडा के नरम रुख से इन अलगाववादियों के हौसले बुलंद हैं। सूत्रों ने कहा कि एयर इंडिया के कनिष्क विमान में 1985 में खालिस्तानी चरमपंथियों ने बम विस्फोट किया था और यह अमेरिका में 9/11 के हमले से पहले हुआ दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक हमला था।
कनाडाई एजेंसियों ने अपनाया ढीला रवैया
उन्होंने कहा कि कनाडाई एजेंसियों की हीलाहवाली के कारण ही इस हमले का मुख्य आरोपित तलविंदर सिंह परमार और उसके साथी बच निकले। सूत्रों ने कहा कि विडंबना यह है कि परमार अब कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों का नायक बना हुआ है और प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने अपने प्रचार केंद्र का नाम भी परमार के नाम पर रखा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में खालिस्तानी चरमपंथियों के हौंसले और बुलंद हो गए और उन्होंने बिना किसी खौफ के कनाडा से काम करना शुरू कर दिया।
खालिस्तानी चरमपंथियों से जुड़े मिले पंजाब में आतंकवाद के मामलों के तार
पिछले एक दशक में पंजाब में सामने आए आतंकवाद के आधे से ज्यादा मामलों के तार कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों से जुड़े मिले। उन्होंने कहा कि 2016 के बाद पंजाब में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों को लक्ष्य बनाकर की गई कई हत्याएं खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की करतूत थीं, जिसकी हत्या से भारत और कनाडा के बीच विवाद पैदा हो गया है।
कनाडाई एजेंसियों ने कइयों के खिलाफ शुरू नहीं की जांच
कनाडाई एजेंसियों ने निज्जर और उसके साथियों भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्शदीप डल्ला, लखबीर और कई अन्य लोगों के खिलाफ कभी कोई जांच शुरू नहीं की। पंजाब में कई हत्याएं करने के बावजूद बावजूद वे वहां सामाजिक कार्यकर्ता बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब आज कनाडा से चलाए जा रहे जबरन वसूली गिरोहों के कारण भारी नुकसान झेल रहा है। पंजाब में आज कई वसूली रैकेट संचालित हो रहे हैं और इनका संचालन अमेरिका और कनाडा में बैठे गैंगस्टर्स कर रहे हैं।
पंजाब में ड्रग्स तस्करी के पीछे गैंगस्टर्स का हाथ
पाकिस्तान के रास्ते पंजाब में ड्रग्स तस्करी के पीछे भी इन्हीं गैंगस्टर्स का हाथ है। उन्होंने कहा कि इस धन का एक बड़ा हिस्सा कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को जाता है और इसका इस्तेमाल वह आतंक को बढ़ावा देने में कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि कनाडा में भी कई खालिस्तानी समर्थक चरमपंथी नशीले पदार्थों के कारोबार का हिस्सा हैं और पंजाब के विभिन्न गैंगस्टर के गिरोहों के बीच प्रतिद्वंद्विता अब कनाडा में आम है।
भारत समर्थक सिख नेता रिपुदमन की हत्या में था निज्जर का हाथ
सूत्रों ने कहा कि भारत समर्थक सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की 2022 में कनाडा के सरे में हत्या कर दी गई थी और कई लोगों का कहना है कि इस हत्या के पीछे निज्जर का हाथ था, लेकिन कनाडाई एजेंसियों ने दोषियों को ढूंढने और वास्तविक साजिश का पर्दाफाश करने में कथित तौर पर कोई तत्परता नहीं दिखाई। इस मामले में केवल ऐसे दो स्थानीय लोगों को आरोपित बनाया गया, जो भारतीय मूल के नहीं थे। उन्होंने कहा कि खालिस्तानियों को पीछे से बढ़ावा दिए जाने की वजह ही है कि खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने उदारवादी और भारत समर्थक सिखों को कनाडा के कई बड़े गुरुद्वारों से बाहर निकाल दिया।
मानवाधिकारों को लेकर दोहरा मानदंड अपना रहा कनाडा
कनाडा में अपने बढ़ते दबदबे से उत्साहित होकर खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने वहां अल्पसंख्यक भारतीय हिंदुओं को खुलेआम डराना और उनके मंदिरों को तोड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि कनाडा में खालिस्तानियों द्वारा भारतीय मिशन और राजनयिकों को खुले तौर पर धमकियां देना गंभीर घटनाक्रम है और ये वियना सम्मेलन के तहत कनाडा के दायित्व को चुनौती देती हैं।
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दोनों देशों के रिश्ते हो रहे प्रभावित
सूत्रों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कनाडा में मानवाधिकारों के आकलन के लिए अलग-अलग पैमाने हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के छोटे-छोटे मुद्दों पर भी कनाडा से मजबूत आवाज उठती हैं, लेकिन वहां बैठे खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा डराए जाने और हिंसा, मादक पदार्थों की तस्करी एवं जबरन वसूली किए जाने के बावजूद कनाडा द्वारा पूरी तरह से चुप्पी साधी जा रही है। इससे दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं।
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