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सैन्य साजो-सामान मामले में आयात पर निर्भर नहीं रह सकता भारत, रक्षा मंत्री ने 'DefConnect 2024' सम्मेलन का किया उद्घाटन

रक्षा मंत्री ने कहा घरेलू रक्षा उत्पादन का वार्षिक आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये के रिकार्ड आंकड़े को पार कर गया है जो 2014 के आसपास लगभग 44000 करोड़ रुपये था। यह लगातार बढ़ रहा है। हम रणनीतिक स्वायत्तता तभी बरकरार रख पाएंगे जब हथियार और साजो-सामान हमारे देश में हमारे अपने लोगों द्वारा बनाए जाएं। हमने इस दिशा में काम किया और हमें सकारात्मक परिणाम भी दिखे।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Mon, 04 Mar 2024 09:05 PM (IST)
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत जैसा विशाल देश सैन्य साजोसामान के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत जैसा विशाल देश सैन्य साजोसामान के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता, क्योंकि ऐसी निर्भरता उसकी रणनीतिक स्वायत्तता के लिए 'घातक' हो सकती है। रक्षा मंत्री ने मानेकशा सेंटर में 'डेफकनेक्ट 2024' के उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित करते हुए दावा किया कि रक्षा आयात पर निर्भरता के कारण भारत को अतीत में 'मुश्किल समय' में परेशानी का सामना करना पड़ा था।

रक्षा मंत्री ने कहा, "घरेलू रक्षा उत्पादन का वार्षिक आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये के रिकार्ड आंकड़े को पार कर गया है जो 2014 के आसपास लगभग 44,000 करोड़ रुपये था। यह लगातार बढ़ रहा है। हम रणनीतिक स्वायत्तता तभी बरकरार रख पाएंगे जब हथियार और साजो-सामान हमारे देश में हमारे अपने लोगों द्वारा बनाए जाएं। हमने इस दिशा में काम किया और हमें सकारात्मक परिणाम भी दिखे।"

राजनाथ ने कहा, "रक्षा सहित प्रमुख क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के बिना भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप वैश्विक मुद्दों पर स्वतंत्र रुख अख्तियार नहीं कर पाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जब हमारी सरकार 2014 में सत्ता में आई तो हमने देखा कि भारत के सैन्य साजोसामान का बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। अगर किसी देश के सुरक्षा संबंधी उपकरणों का बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है, तो उस देश को गंभीर परिस्थितियों में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा, "अतीत में भारत के साथ भी ऐसा हुआ है। जब भारत कठिन समय में था तो हमें हथियारों के लिए आयात पर निर्भरता के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा था। स्वदेशी नवाचार को प्रोत्साहन देने और बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी को सुगम बनाने के लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस-डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन (आईडेक्स-डीआईओ) द्वारा 'डेफकनेक्ट 2024' का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीकों को प्रदर्शित करना है। यह आयोजन रक्षा क्षेत्र में भारत के अग्रणी उद्योगों से बड़ी संख्या में निवेशकों को आकर्षित करेगा।"

'डेफकनेक्ट 2024' के दौरान लांच की गई अदिति योजना डेफकनेक्ट 2024 में अदिति (एक्टिंग डेवलपमेंट ऑफ इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज विद आईडीईएक्स) योजना लॉन्च की गई। 2023-24 से 2025-26 की अवधि के लिए शुरू की गई 750 करोड़ रुपये की अदिति योजना का लक्ष्य लगभग 30 महत्वपूर्ण और रणनीतिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करना है।

इस कार्यक्रम में डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी) के 11वें संस्करण का भी शुभारंभ हुआ, जिसने रक्षा क्षेत्र के प्रतिष्ठान और स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम के बीच सहयोग में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई।

इसके अलावा, आईडीईएक्स इंटर्नशिप कार्यक्रम की भी शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को नवाचार में व्यावहारिक अनुभव और मार्गदर्शन देना है। आईडीईएक्स ने आईडीईएक्स इन्वेस्टर्स हब के तहत नए निवेशकों के साथ समझौता ज्ञापन की भी घोषणा की। ये साझेदारियां रक्षा स्टार्ट-अप में निवेश बढ़ाने की सुविधा प्रदान करेंगी।