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Tawang Clash: तवांग मठ के भिक्षुओं ने किया भारत का समर्थन, बोले- 'ये 1962 नहीं 2022 है'

India China Faceoff तवांग मठ के एक भिक्षु लामा येशी खावो (Yeshi Khawo) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे। हम मोदी सरकार और भारतीय सेना का समर्थन करते हैं। ये 1962 नहीं ये 2022 है और ये पीएम नरेंद्र मोदी सरकार है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 19 Dec 2022 09:55 AM (IST)
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तवांग मठ के भिक्षुओं ने किया भारत का समर्थन

तवांग, एएनआई। Tawang Monastery Monks Warns China: तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच यांग्त्से में झड़प के बाद बाद प्रसिद्ध तवांग मठ (Tawang Monastery) के भिक्षुओं की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। तवांग मठ के भिक्षुओं ने चीन (China) चेतावनी देते हुए कहा है कि, "ये 1962 नहीं, ये 2022 है" और "ये पीएम नरेंद्र मोदी सरकार है"।

'भारतीय सेना का समर्थन करते हैं'

तवांग मठ के एक भिक्षु लामा येशी खावो ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे। हम मोदी सरकार और भारतीय सेना का समर्थन करते हैं।" 17वीं शताब्दी के मठ में उपस्थित सभी लोगों की चिंताओं को व्यक्त करते हुए भिक्षु ने कहा कि, 1962 में एशियाई दिग्गजों के बीच संघर्ष भी हमने देखा है। लामा येशी खावो ने ये भी कहा कि, चीनी सरकार हमेशा "अन्य देशों के क्षेत्रों पर नजरें गड़ाए रहती है" ये पूरी तरह से गलत है।

'चीनी सरकार गलत है'

लामा येशी खावो ने कहा कि, "वो भारतीय भूमि पर भी नजर रखते हैं। चीनी सरकार गलत है। अगर वो दुनिया में शांति चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर वो वास्तव में शांति चाहते हैं, तो उन्हें किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।" उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें वर्तमान भारत सरकार और भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है, जो तवांग को सुरक्षित रखेगी।

1962 में किया भारत का समर्थन

तवांग मठ के भिक्षु येशी खावो ने कहा कि, "1962 में हुए युद्ध के दौरान, इस मठ के भिक्षुओं ने भारतीय सेना की मदद की थी। चीनी सेना भी मठ में घुस गई थी, लेकिन उन्होंने किसी को चोट नहीं पहुंचाई। पहले तवांग तिब्बत का हिस्सा था और चीनी सरकार ने तिब्बत की जमीन पर कब्जा कर लिया था।" चीनी सरकार का दावा है कि तवांग भी तिब्बत का हिस्सा है, लेकिन तवांग भारत का अभिन्न अंग है। हमें चिंता नहीं है, क्योंकि भारतीय सेना सीमा पर है। हम यहां शांति से रह रहे हैं।"

1681 में बनाया गया था मठ

भिक्षु ने आगे कहा कि तवांग मठ 1681 में बनाया गया था जो एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे पुराना मठ है। इसे 5वें दलाई लामा की मंजूरी के बाद बनाया गया था। ''छठे दलाई लामा का जन्म तवांग में हुआ था। हमें 5वें और छठे दलाई लामा का आशीर्वाद प्राप्त हैं। वर्तमान में तवांग मठ में लगभग 500 भिक्षु हैं। मठ के परिसर और गुरुकुल में 89 छोटे घर हैं। इसके अलावा यहां बौद्ध धर्म दर्शन के साथ-साथ सामान्य शिक्षा भी प्रदान की जाती है।"

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