India-China Standoff: भारत-चीन के बीच 18वें दौर की कोर कमांडर वार्ता, कई अनसुलझे मुद्दों को लेकर हुई बात
India-China Standoff यह बैठक तब हो रही है जब दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से निर्माण गतिविधियों में लगे हुए हैं। भारतीय पक्ष देपसांग के मैदानों डेमचोक और दोनों पक्षों द्वारा पीछे हटने का मुद्दा बार-बार उठाता रहा है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Sun, 23 Apr 2023 09:40 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच रविवार को 18वें दौर की वार्ता हुई। पूर्वी लद्दाख सेक्टर के चुशुल-मोल्डो में दोनों देशों के कोर कमांडर मिले। इस बैठक में तीन साल से जारी सैन्य तनातनी खत्म करने और अनसुलझे मुद्दों पर बातचीत हुई। रक्षा सूत्रों अनुसार भारत की ओर से बैठक का नेतृत्व फायर एंड फ्यूरी कार्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया। चीन की ओर से ले. जनरल बाली के समकक्ष स्तर के अधिकारी ने बैठक की अगुआई की। यह बैठक पांच महीने के अंतराल के बाद हुई।
दोनों पक्षों के बीच कोर कमांडर स्तर की आखिरी बैठक पिछले साल दिसंबर में हुई थी। वैसे यह बैठक ऐसे समय हुई है जबकि दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से निर्माण गतिविधियों में लगे हुए हैं। भारतीय पक्ष चीन के समक्ष देपसांग के मैदानों, डेमचोक सीमा पर दोनों पक्षों के पीछे हटने का मुद्दा बार-बार उठाता रहा है।
दोनों पक्षों द्वारा पीछे हटने का मुद्दा उठा
2020 में कोविड महामारी के दौरान चीनी पक्ष द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारी हथियारों और बड़ी संख्या में सैनिकों के आक्रामक तरीके से आगे बढ़ने की कोशिश के बाद दोनों पक्षों के बीच मामलों को सुलझाने के लिए कोर कमांडर स्तरीय वार्ता शुरू हुई थी। वार्ता में दोनों पक्ष भविष्य में लगातार संपर्क में रहने, सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों के स्वीकार्य समाधान पर कार्य करने पर सहमत हुए हैं।हालांकि, चीनी पक्ष अडियल रुख भी नहीं छोड़ रहा है और वह देपसांग के मैदानों क्षेत्रों में लंबे समय से भारतीय गश्ती दल को अपने बिंदुओं पर जाने से रोक रहा है। वैसे चीनी रक्षा मंत्री राष्ट्रीय राजधानी में अगले सप्ताह होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शिरकत करने के लिए भारत आने वाले हैं। देखा जाए तो निकट भविष्य में दोनों पक्षों के बीच मुद्दों का हल निकलने की संभावना कम ही नजर आ रही है।