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पाकिस्तान और चीन के लिए 'प्रलय' को रोकना होगा मुश्किल, रक्षा मंत्रालय ने तैनाती को दी मंजूरी

प्रलय एक अर्ध-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम होने के लिए उन्नत मिसाइल को एक तरह से विकसित किया गया है। यह मध्य हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता रखती है।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 25 Dec 2022 08:47 PM (IST)
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प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को रक्षा मंत्रालय की मिली मंजूरी
नई दिल्ली, एएनआइ। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 'प्रलय' बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है। इन मिसाइलों को चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। वर्तमान में प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलें 150 से 500 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती हैं। इंटरसेप्टर मिसाइलों के माध्यम से दुश्मन के लिए इसे रोकना बेहद मुश्किल होगा।

रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

वरिष्ठ रक्षा सूत्रों ने बताया, 'रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 मिसाइलों के अधिग्रहण और सीमाओं पर उनकी तैनाती को मंजूरी दे दी गई है।' इन बैलिस्टिक मिसाइलों के अधिग्रहण को देश के लिए एक बड़े विकास के रूप में देखा जा रहा है, जिसकी अब ऐसी नीति है, जो सामरिक भूमिकाओं में बैलिस्टिक मिसाइलों के उपयोग की अनुमति देती है।

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चीन और पाकिस्तान दोनों के पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो सामरिक भूमिकाओं के लिए हैं। सूत्रों ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित मिसाइल को और विकसित किया जा रहा है और अगर सेना चाहे तो इसकी सीमा को काफी बढ़ाया जा सकता है।

2015 के आसपास मिसाइल प्रणाली का विकास होना शुरू हुआ और इस तरह की क्षमता के विकास को दिवंगत जनरल बिपिन रावत ने थल सेनाध्यक्ष के रूप में बढ़ावा दिया। इस मिसाइल का पिछले साल 21 दिसंबर और 22 दिसंबर को लगातार दो बार सफल परीक्षण किया गया था।

'प्रलय' क्या है?

'प्रलय' एक अर्ध-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम होने के लिए उन्नत मिसाइल को एक तरह से विकसित किया गया है। यह मध्य हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता रखती है। 'प्रलय' एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और अन्य नई तकनीकों द्वारा संचालित है। इस मिसाइल को सबसे पहले भारतीय वायु सेना में शामिल किया जाएगा।

प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय के स्तर पर मंजूरी दे दी गई है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल लंबी दूरी की दुश्मन वायु रक्षा प्रणालियों और अन्य उच्च मूल्य वाले प्रतिष्ठानों और हथियारों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है।

इन मिसाइलों को शामिल करने के प्रस्ताव को ऐसे समय में मंजूरी दी गई है, जब रक्षा बल एक समर्पित रॉकेट बल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर सके। चीनी सेना के पास पहले से ही समर्पित रॉकेट फोर्स है।

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