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अफ्रीका और नामीबिया के अलावा इन देशों से भी लाए जाएंगे चीते, भारत कर रहा विचार; क्या है वजह?

भारत ने भविष्य में सोमालिया तंजानिया सूडान और भूमध्य रेखा के करीब या उत्तरी गोलार्ध के अन्य देशों से चीते मंगाने पर विचार किया है। सूत्रों के मुताबिक नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीतों ने एक बार फिर अभी से सर्दियों के हिसाब से अपने को ढाल लिया है। इन चिताओं के बावजूद हालांकि नए चीते लाने के लिए दक्षिणी गोलार्ध के देशों के साथ चर्चा जारी है।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Sun, 25 Aug 2024 10:30 PM (IST)
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अफ्रीका और नामीबिया के अलावा इन देशों से भी लाए जाएंगे चीते (Image: File)

नई दिल्ली, पीटीआई। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया जैसे दक्षिणी गोलार्ध के देशों से लाए गए चीतों में जैविक परिवर्तन की समस्याओं से बचने के लिए भारत ने भविष्य में सोमालिया, तंजानिया, सूडान और भूमध्य रेखा के करीब या उत्तरी गोलार्ध के अन्य देशों से चीते मंगाने पर विचार किया है।

इन देशों से चीते मंगाने पर विचार

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों के बीच सर्केडियन रिदम (जीव-जंतु में शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक परिवर्तन) में अंतर के कारण पिछले वर्ष दक्षिणी गोलार्ध से लाए कुछ चीतों ने अफ्रीकी सर्दियों (जून से सितंबर) की आशंका के चलते भारत के ग्रीष्म और मानसून ऋतु के दौरान ही खुद को सर्दियों से बचाव के अनुरूप कर लिया था।

दक्षिणी गोलार्ध के देशों के साथ चर्चा जारी

इनमें से तीन चीतों एक नामीबियाई मादा और दो दक्षिण अफ्रीकी नर की पीठ और गर्दन पर हुए घावों में कीड़े लगने और रक्त संक्रमण के कारण मौत हो गई। सूत्रों के मुताबिक, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीतों ने एक बार फिर अभी से सर्दियों के हिसाब से अपने को ढाल लिया है। इन चिताओं के बावजूद नए चीते लाने के लिए दक्षिणी गोलार्ध के देशों के साथ चर्चा जारी है।

एक सूत्र ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया सहित अन्य देशों के साथ बातचीत की जा रही है, लेकिन हमने औपचारिक रूप से किसी से संपर्क नहीं किया है। वर्तमान में हमारा ध्यान तात्कालिक मुद्दों को हल करने पर है जैसे कि शिकार के लिए दायरा बढ़ाना और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य तैयार करना।'

उत्तरी गोलार्ध के देशों से लाया जाना चाहिए चीते?

आरटीआइ के तहत हासिल दस्तावेजों से पता चला है कि पिछले साल 10 अगस्त को एक संचालन समिति की बैठक के दौरान इसके अध्यक्ष राजेश गोपाल ने कहा था कि दक्षिणी गोलार्ध देशों के चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानीय पर्यावरण, जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने में लगने वाला समय उनकी मौत का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। उन्होंने इस वजह से और चीतों की मौत होने की आशंका भी जताई थी और सिफारिश की थी कि भविष्य में चीतों को ऐसी समस्याओं से बचाने के लिए केन्या या सोमालिया जैसे उत्तरी गोलार्ध के देशों से लाया जाना चाहिए।

25 चीते स्वस्थ

इस बीच एक अधिकारी ने बताया कि मानसून खत्म होने के बाद वयस्क चीतों को चरणबद्ध तरीके से जंगल में छोड़ा जाएगा, वहीं शावकों और उनकी माताओं को दिसंबर के बाद छोड़ा जाएगा। फिलहाल सभी 25 चीते(13 वयस्क और 12 शावक) स्वस्थ हैं। इन चीतों को बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया गया है और संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन दी गई है।

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