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Digital India: भारत की डिजिटल क्रांति देख दुनिया चकित, आर्थिक परिदृश्य के लिए अभूतपूर्व क्षमता मौजूद

मंगलवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे ने यह रेखांकित किया है कि लोगों के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास की भारतीय कहानी को देखकर दुनिया चकित है। कोविड-19 के दौरान इसका प्रदर्शन कहीं बेहतर था। File Photo

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 31 Jan 2023 07:15 PM (IST)
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भारत की डिजिटल क्रांति देख दुनिया चकित।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मंगलवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे ने यह रेखांकित किया है कि लोगों के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास की भारतीय कहानी को देखकर दुनिया चकित है। कोविड-19 के दौरान हेल्थकेयर से लेकर कृषि, वित्तीय तकनीक, शिक्षा और कौशल विकास में जिस तरह डिजिटल तंत्र उपलब्ध कराया गया और लोगों ने इसे अपनाया भी, उससे यह संकेत मिलता है कि देश में सेवाओं की डिजिटल डिलिवरी में पूरे आर्थिक परिदृश्य के लिए अभूतपूर्व क्षमता मौजूद है।

डिजिटल इन्फ्रा के विकास में भारत की प्रगति ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा

यह अक्सर सलाह दी जाती है कि विकासशील देशों को दुनिया की सर्वेश्रेष्ठ परंपराओं को अपनाना चाहिए, लेकिन डिजिटल इन्फ्रा के विकास में भारत की प्रगति ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। दूसरे देश अब इसकी मिसाल दे रहे हैं। आधार, नागरिक केंद्रित यूपीआई, डिजीलॉकर जैसे कदम और को-विन के जरिये टीकाकरण की सफल यात्रा इसके अहम पड़ाव हैं। जीएसटी लागू होने के बाद इसका एक सिरे से दूसरे सिरे तक जैसा डिजिटाइजेशन किया गया है, टैक्स प्रणाली में डिजिटल तौर-तरीकों का समावेश और आय़कर के फेसलेस ई-असेसमेंट ने सुशासन की जमीन तैयार की है और अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने का भी काम किया है। ई-वे बिल और इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह भी इसी परिदृश्य के अहम कदम हैं। इससे टैक्स कलेक्शन का माहौल सुधरा है। न केवल टैक्स चोरी रुकी है, बल्कि छोटे व्यवसायों के लिए लोगों को भरोसा भी बढ़ा है।

यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई)

एक गेमचेंजर डिजिटल इकोनमी की दिशा में बेहद तेज कदम बढ़ने का सिलसिला जारी है और इसका प्रमाण है कि यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) अब सबसे अधिक पसंदीदा पेमेंट तरीकों में शामिल हो गया है। यूपीआई की यह प्रगति उल्लेखनीय है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश के कुल डिजिटल ट्रांजेक्शन (3100 करोड़) में यूपीआई की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत थी, जो अगले साल बढ़कर 27 प्रतिशत (4600 करोड़ लेनदेन में 1250 करोड़) हो गई। वित्तीय वर्ष 2021-22 में यूपीआई का हिस्सा 52 प्रतिशत हो गया है। इस दौरान कुल 8840 डिजिटल लेनदेन किए गए। औसत रूप से 2019 से 2022 के बीच यूपीआई आधारित लेनदेन (कीमत और संख्या के लिहाज से) में 121 और 115 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

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