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भारत-ईयू एफटीए समझौते का असर भारतीय बाजार पर, घरेलू मेडिकल उपकरण निर्माण के प्रभावित होने की आशंका

घरेलू मेडिकल उपकरण निर्माताओं का कहना है कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से घरेलू स्तर का निर्माण और प्रभावित हो जाएगा। आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार कुछ माह पहले मेडिकल उपकरण मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन योजना भी लेकर आई है। लेकिन ईयू के साथ एफटीए से मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन योजना को भी धक्का लग सकता है।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Tue, 24 Sep 2024 11:04 PM (IST)
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भारत-ईयू एफटीए : मेडिकल उपकरणों के लिए 70 प्रतिशत आयात पर निर्भरता
 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। घरेलू मेडिकल उपकरण निर्माताओं का कहना है कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से घरेलू स्तर का निर्माण और प्रभावित हो जाएगा। मेडिकल उपकरण की घरेलू जरूरत की 70 प्रतिशत पूर्ति आयात से हो रही है।

सरकार लेकर आई योजना

आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार कुछ माह पहले मेडिकल उपकरण मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन योजना भी लेकर आई है। लेकिन ईयू के साथ एफटीए से मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन योजना को भी धक्का लग सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ईयू के साथ एफटीए होने के बाद मेडिकल उपकरण बनाने वाला कोई भी देश खासकर चीन आसानी से भारत में बिना शुल्क के अपने उपकरण भेज सकेगा।

ईयू के नियम के मुताबिक वहां की मार्केटिंग कंपनियां किसी भी देश से माल लाकर उस पर ओरिजिन कंट्री के रूप में ईयू का लेवल लगा सकते हैं और फिर वह उत्पाद बिना शुल्क के भारत में प्रवेश कर जाएगा क्योंकि एफटीए होने के बाद ईयू से आने वाले माल पर भारत में कोई शुल्क नहीं लगेगा।

एआईएमईडी ने वाणिज्य मंत्रालय को लिखा पत्र

भारत जर्मनी, नीदरलैंड के बाद चीन से सबसे अधिक मेडिकल उपकरणों का आयात करता है। इस आशंका को लेकर संबंध में एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डेवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी) ने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र भी लिखा है। यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए गत सोमवार से नौवें चरण की बातचीत नई दिल्ली में शुरू हो चुकी है। एफटीए में मेडिकल उपकरणों को भी शामिल किया गया है।

एसोसिएशन का कहना है कि कंट्री ऑफ ओरीजिन (मूल देश) पर ईयू का नाम तभी लिखा जाना चाहिए जब ईयू में उस उत्पाद पर कम से कम 35 प्रतिशत का वैल्यू एडिशन किया गया हो। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से प्रमाणित कंपनियों के मेडिकल उपकरणों को ही एफटीए के तहत भारत में शुल्क मुक्त आने की इजाजत मिलनी चाहिए।

मेडिकल उपकरण के आयात में 68 प्रतिशत का इजाफा हुआ

भारत और अमेरिका किसी कंपनी को बिना वैल्यू एडिशन के अपना नाम कंट्री ऑफ ओरीजिन के रूप में लगने की इजाजत नहीं देता है। पिछले चार सालों में घरेलू स्तर पर मेडिकल उपकरण के आयात में 68 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

एसोसिएशन के संस्थापक राजीव नाथ ने बताया कि हम एफटीए के खिलाफ नहीं है, लेकिन एफटीए में इस बात का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए ताकि बड़ी मुश्किल से खड़े हो रहे मेडिकल उपकरण के घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को झटका नहीं लगे।

कार्बन टैक्स को लेकर भारत की चिंता

दूसरी तरफ ईयू के साथ एफटीए वार्ता में कार्बन टैक्स या कार्बन बार्डर एडस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबैम) को लेकर भी सरकार की चिंता बनी हुई है। ईयू वर्ष 2026 के जनवरी माह से सीबैम के तहत कार्बन टैक्स लगाने की घोषणा कर चुका है। इससे सीमेंट, स्टील, के साथ कई कृषि उत्पाद के निर्यात प्रभावित हो जाएंगे।

अगर सीबैम के तहत ईयू टैक्स लगाने में कामयाब हो जाता है तो एफटीए के बावजूद भारत के कई आइटम के निर्यात पर ईयू में शुल्क लगेगा जबकि एफटीए के बाद ईयू के आने वाले उत्पाद पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।