भारत का पहला मोबाइल फोन कॉल: कैसे सुखराम और ज्योति बसु ने 28 साल पहले रचा इतिहास
मोबाइल फोन हमारी रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न अंग हो चुका है और यह कहना गलत नहीं होगी कि हर दिन बितने के साथ मोबाइल फोन हमारे जीवन का और भी जरूरी हिस्सा बनता जा रहा है। हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ घूमने से लेकर घर के लिए सब्जियां ऑर्डर करने तक मोबाइल फोन हर कदम पर लोगों की मदद करता है।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 02 Aug 2023 04:33 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। मोबाइल फोन हमारी रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न अंग हो चुका है और यह कहना गलत नहीं होगी कि हर दिन बितने के साथ मोबाइल फोन हमारे जीवन का और भी जरूरी हिस्सा बनता जा रहा है। हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ घूमने से लेकर घर के लिए सब्जियां ऑर्डर करने तक, मोबाइल फोन हर कदम पर लोगों की मदद करता है।
भारत ने पिछले 28 सालों में अपने मोबाइल फोन सेक्टर में तेजी से वृद्धि देखी है, लेकिन यह सब 28 साल पहले उस कॉल से शुरू हुआ, जो पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुख राम को किया था।
अब आप पूछेगें कि वो मोबाइल कौन सा था जिससे दोनों नेताओं ने उस समय बात की थी। मगर, कथित तौर पर उस फोन को नोकिया रिंगो कहा जाता था!
भारत में पहला मोबाइल फोन कॉल कैसे हुआ?
जब भारत ने उस ऐतिहासिक कॉल के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाया था, तब उमंग दास, जो 1994 में भारत के पहले मोबाइल ऑपरेटर मोदी टेल्स्ट्रा के सीईओ थे, ने इकोनॉमिक टाइम्स में एक लेख लिखकर बताया था कि यह सब कैसे मुमकिन हुआ था।
उमंग दास ने अपने लेख में लिखा, "जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो यह अभी भी अविश्वसनीय लगता है।" "यह सब तब शुरू हुआ जब 1994 के मध्य में, ज्योति बसु ने बी के मोदी, जो तत्कालीन मोदी टेल्स्ट्रा के अध्यक्ष थे। उन्होंने मुझे कलकत्ता में राइटर्स बिल्डिंग सचिवालय में अपने कार्यालय में आमंत्रित किया।"
उमंग दास ने लिखा था, "हम एक ज्योति बसु से शिष्टाचार मुलाकात से ज्यादा कुछ की उम्मीद नहीं कर रहे थे। बैठक के आखिर में, बसु ने अपने विशिष्ट अंदाज में कहा कि कलकत्ता को मोबाइल नेटवर्क वाला भारत का पहला शहर बनना चाहिए।"