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वैक्सीन पेटेंट में छूट पर WTO में भारत को मिली पहली कामयाबी, जानें फैसला पक्ष में रहा तो क्या होगा फायदा

वैश्विक स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन शुरू कराने को लेकर भारत की कोशिश अब कामयाबी की ओर बढ़ रही है। डब्ल्यूटीओ की ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्स्ट ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स (ट्रिप्स) काउंसिल की पिछले दो दिनों से चल रही बैठक में भारत को पहली कामयाबी मिल गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Wed, 09 Jun 2021 11:02 PM (IST)
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विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्स्ट ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स (ट्रिप्स) काउंसिल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वैश्विक स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन शुरू कराने को लेकर भारत की कोशिश अब कामयाबी की ओर बढ़ रही है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्स्ट ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स (ट्रिप्स) काउंसिल की पिछले दो दिनों से चल रही बैठक में भारत को पहली कामयाबी मिल गई है। बैठक में वैक्सीन की बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट देने पर रजामंदी बनती दिखी और सभी सदस्य बिना किसी विरोध के अगली वार्ता के लिए राजी हो गए।

भारत सफल रहा तो वैश्विक स्तर पर हो सकेगा वैक्सीन का उत्पादन

यूरोपीय यूनियन समेत किसी भी देश ने इस मामले में भारत के प्रस्ताव पर आपत्ति जाहिर नहीं की। ट्रिप्स काउंसिल की तरफ से इस मामले में अगली बैठक 17 जून को बुलाई गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक ट्रिप्स काउंसिल की बैठक में भारत ने इस वार्ता को जुलाई अंत तक खत्म करने का सुझाव दिया था। काउंसिल की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि डब्ल्यूटीओ की जनरल काउंसिल की 21 जुलाई को होने वाली बैठक से पहले इस मामले में अंतिम फैसला कर लिया जाएगा।

सभी देशों को कम कीमत पर वैक्सीन हो सकेगी उपलब्ध

भारतीय प्रस्ताव के पक्ष में फैसला होने पर वैक्सीन का उत्पादन दुनिया के किसी भी देश में हो सकेगा, जिससे सभी देशों को कम कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध हो सकेगी। भारत के इस प्रयास में दक्षिण अफ्रीका शुरू से साथ है। कुछ दिन पहले अमेरिका ने भारत के इस प्रस्ताव को समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन यूरोपीय यूनियन की तरफ से भारत को समर्थन नहीं मिल रहा था। ट्रिप्स काउंसिल की बैठक में ईयू ने भी भारत के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया।

क्या है भारत का प्रस्ताव

वैक्सीन का वैश्विक स्तर पर उत्पादन शुरू करने के लिए कंपनियों को अपना 'ट्रेड सेक्रेट' भी साझा करना होगा। वैक्सीन के कच्चे माल, गुणवत्ता नियंत्रण और नियामक मंजूरी जैसे तमाम चीजों के लिए वैक्सीन निर्माता कंपनी को हामी भरनी होगी। भारत की दलील है कि सिर्फ वैक्सीन उत्पादन के पेटेंट में छूट देने से बात नहीं बनेगी, कच्चे माल, गुणवत्ता नियंत्रण जैसे कई मसलों से छूट देनी पड़ेगी।

यह छूट कम से कम तीन साल के लिए होगी तभी वैश्विक स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन संभव हो सकेगा। इसके बाद ट्रिप्स काउंसिल इसकी समीक्षा करेगी और जरूरत पड़ने पर इस छूट की अवधि बढ़ाई जाएगी। छूट मिलने के एक साल तक काउंसिल किसी प्रकार की समीक्षा नहीं करेगी।