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बांग्‍लादेश को लेकर चौंकाने वाली है यूएन की रिपोर्ट, भारत के लिए भी है बेहद खास

संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट में दुनिया में बसे प्रवा‍सी और शरणार्थियों को लेकर जो खुलासा हुआ है वो बेहद खास है। ये रिपोर्ट भारत के लिहाज से भी खास है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 06 Mar 2020 01:45 AM (IST)
बांग्‍लादेश को लेकर चौंकाने वाली है यूएन की रिपोर्ट, भारत के लिए भी है बेहद खास
नई दिल्‍ली। प्रवासियों और शरणार्थियों को लेकर सामने आई संयुक्‍त राष्‍ट्र की की वर्ल्‍ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 रिपोर्ट बेहद खास है। ये रिपोर्ट यूएन की ही सहयोगी संस्‍था इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑन माइग्रेंशन (International Organization for Migration) ने तैयार की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 27 करोड़ प्रवासी हैं जिनमें सबसे अधिक भारतीय हैं। इसके अलावा बांग्‍लादेश को लेकर भी इसमें कुछ चौंकाने वाले तथ्‍य मौजूद हैं। इसमें कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक राज्‍यविहीन (Stateless Peoples) लोगों में बांग्‍लादेश के लोग हैं। 

शरणार्थियों पर क्‍या कहती है रिपोर्ट 

संयुक्‍त राष्‍ट्र की की वर्ल्‍ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 में केवल प्रवासियों का ही जिक्र नहीं किया गया है बल्कि इसमें दुनिया भर में फैले शरणार्थियों की भी संख्‍या बताई गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में पूरी दुनिया में करीब ढाई करोड़ शरणार्थी थे। ये वो शरणार्थी है जो यूएनएचसीआर और UNRWA के तहत हैं। इससे सबसे चौंकाने वाला तथ्‍य ये भी है कि शरणार्थियों में सबसे ज्‍यादा करीब 52 फीसद 18 वर्ष से कम उम्र के हैं। इन लोगों के अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बसने की कोशिश की वजह हिंसा, हमले, गृहयुद्ध रहा है। 

गृहयुद्ध के चलते छोड़ा देश 

इस रिपोर्ट के मुताबिक गृहयुद्ध की वजह से अपना घर छोड़ने वालों की संख्‍या 4 करोड़ को भी पार कर चुकी है।  यह संख्‍या 1998 के बाद से सबसे अधिक है। इसमें सबसे अधिक 60 लाख सीरिया से हैं। इसके बाद करीब 51 लाख लोग कोलंबिया और फिर करीब 30 लाख लोग कांगो के हैं। शरणार्थियों की गिनती और संख्‍या कई जगह और वजहों से अलग अलग है।

राज्‍यविहीन लोगों मे बांग्‍लादेशी सबसे आगे

राज्‍यविहीन लोगों को लेकर ये रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है। इसके मुताबिक 2018 में राज्‍य विहीन (stateless persons) लोगों की संख्‍या भी 39 लाख के करीब पहुंच चुकी है। इसमें बांग्‍लादेश के सबसे अधिक करीब 9 लाख थे। इसके बाद कोट द आइवोरे (Côte d’Ivoire) के करीब 7 लाख और फिर म्‍यांमार के 6 लाख 20 हजार लोग शामिल थे। आपको बता दें कि राज्‍यविहीन लोग उन्‍हें कहते हैं जिन्‍हें किसी भी देश की नागरिकता प्राप्‍त नहीं होती है। ऐसे लोग ज्‍यादातर सीमावर्ती इलाकों में रहते हैं और कई बार ये सीमा उल्‍लंघन के मामले में भी फंसते हैं। बांग्‍लादेश की ही बात करें तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत और बांग्‍लादेश की सीमा पर रहने वाले ज्‍यादातर लोग दोनों में से किसी भी देश के नागरिक नहीं हैं। कई बार ये भी देखा गया है कि ये लोग रोजी-रोटी के लिए एक दूसरे की सीमा में प्रवेश भी कर जाते हैं। 2015 में भारत और बांग्‍लादेश के बीच एक सीमा को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसके बाद 17 हजार एकड़ क्षेत्र बांग्‍लोदश को सौंपा गया था और बांग्‍लादेश ने करीब 7 हजार एकड़ भूमि भारत को सौंपी थी। इस समझौते के बाद यहां रहने वाले हजारों लोगों को अपने मन मुताबिक नागरिकता चुनने का अधिकार दिया गया था।  

प्रवासी लोग 

इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में अकेले भारत के ही 1.75 करोड़ से प्रवासी दुनिया के विभिन्‍न देशों में रह रहे हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर मैक्सिको के नागरिकों की है जिनकी संख्‍या लगभग 1.20 करोड़ है। तीसरे नंबर पर विभिन्‍न देशों में रह रहे चीन के नागरिक आते हैं जिनकी संख्‍या 1.10 करोड़ से कुछ कम है। रिपोर्ट के मुताबिक 1.40 करोड़ प्रवासी यूरोप और उत्‍तरी अमेरिका में रहते हैं। 

काम की तलाश में छूटता वतन 

यूएन की इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की पूरी आबादी के करीब 3.5 फीसद लोग प्रवासियों के रूप में विभिन्‍न देशों में रह रहे हैं। इस आबादी में 52 फीसद लोग पुरुष और 48 फीसद महिलाएं हैं। करीब 74 फीसद प्रवासी 20-64 वर्ष की आयु के हैं, जो एक वर्किंग एज होती है। इसका सीधा सा अर्थ ये है कि ज्‍यादातर लोग काम की तलाश में अपना वतन छोड़कर दूसरे देश की राह पकड़ते हैं। लेकिन इसी रिपोर्ट में ये भी दर्ज है कि महज 3.5 फीसद प्रवासी दुनिया की आबादी का बेहद छोटा सा हिस्‍सा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 96.5 फीसद लोग अपनी पूरी जिंदगी उसी देश में बिताते हैं जहां पर वो पैदा होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले 30 वर्षों में प्रवासियों की संख्‍या में कमी आ जाएगी और यह करीब 23 करोड़ रह जाएंगे। 

अधिक आय वाले देशों का रुख 

इस रिपोर्ट का एक तथ्‍य ये भी है कि ज्‍यादातर प्रवासी विकासशील देशों से संबंध रखते हैं जिनका रुख अधिक आय वाले देश होते हैं। इनमें अमेरिका ज्‍यादातर लोगों की पसंद होता है। इसके अलावा फ्रांस, रूस, यूएई, सऊदी अरब भी लोगों की पसंद बनता है। जहां तक आने वाले समय में प्रवासियों की संख्‍या में कमी की बात है तो इसको दो तरह से देखा जा सकता है। पहला विकसित देशों में बने प्रवासियों के लिए कड़े नियम, दूसरा विकासशील देशों का तेजी से होता विकास। 

अमेरिका जाने वालों में आई कमी 

इस रिपोर्ट का एक रोचक तथ्‍य ये भी है कि वर्ष 2013-2017 के दौरान अमेरिका जाने वाले लोगों में करीब एक फीसद की कमी आई है। वहीं अमेरिका की तुलना में कम आय वाले देशों में प्रवासियों की संख्‍या में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है। 

विदेशों से धन भेजने वालों में भारतीय आगे 

रिपोर्ट का एक तथ्‍य और खास है। इसके मुताबिक विदेशों से धन भेजने के मामले में भी भारतीय सबसे आगे हैं। वर्ष 2018 में भारतीयों द्वारा भेजी गई राशि करीब 78.6 खरब डॉलर भेजे थे। वहीं दूसरे नंबर पर चीन था जिसके नागरिकों 67.4 खरब डॉलर और तीसरे नंबर पर मैक्सिको, जिसने 35.7 खरब डॉलर स्‍वदेश भेजे थे।  

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