सियोल मीटिंग पर टिकी नजर, NSG सदस्यता के लिए भारत ने झोंकी ताकत
दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में आज से एनएसजी के 48 देशों की बैठक शुरू हो जाएगी। भारत ने स्वीकार किया है कि राह आसान नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत एनएसजी का सदस्य बन पाएगा या नहीं यह अगले 48 घंटे में तय हो जाएगा। लेकिन कूटनीतिक के लिहाज से अगले कुछ घंटे बेहद अहम होंगे। दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में आज से एनएसजी के 48 देशों की बैठक शुरू हो जाएगी। भारत ने स्वीकार किया है कि राह आसान नहीं है। लेकिन उसने ऐन वक्त पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। विदेश सचिव एस जयशंकर की अगुवाई में एक मजबूत भारतीय टीम सिओल पहुंच चुकी है। वहीं पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि एनएसजी में भारत की दावेदारी मजबूत है। भारत को एनएसजी की सदस्यता जरूर मिलेगी। हालांकि चीन के स्पष्ट रुख के बाद इस वर्ष एनएसजी में भारत की सदस्यता मिलने पर संदेह है।
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उधर, फ्रांस का समर्थन मिलने से भारतीय खेमे में नये उत्साह का संचार हुआ है। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह एनएसजी समेत अन्य तीन समूहों में प्रवेश दिलाने का जोरदार समर्थन किया है। फ्रांस ने कहा है परमाणु, जैविक व अन्य तकनीकी हस्तांतरण से जुड़े चारों अंतरराष्ट्रीय समझौतों में भारत के शामिल होने से परमाणु तकनीकी के गलत इस्तेमाल पर रोक लगेगी। भारत की हिस्सेदारी परमाणु, रासायनिक, जैविक, बैलास्टिक व पारंपरिक संवेदनशील उत्पादों व तकनीकी निर्यात को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। फ्रांस भारत के एनएसजी में एक पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल करने का पूरा समर्थन करता है और सिओल में 23 जून को होने वाली बैठक में सभी सदस्यों से इसका समर्थन करने का भी आग्रह किया है।
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रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के बाद फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चौथा देश हो गया है जिसने अन्य सभी देशों से भारत के समर्थन में वोटिंग करने का आग्रह किया है। भारतीय खेमा पूरी जोर शोर से लगा है लेकिन उसे आगे की मुश्किलों का पता है। भारतीय खेमा का आकलन है कि 25 राष्ट्र पूरी तरह से भारत के साथ हैं जबकि 23 देशों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन सूत्रों के मुताबिक जिन लोगों ने पत्ते नहीं खोले हैं उनमें से पांच या छह को छोड़ कर अन्य सभी वोटिंग की स्थिति में भारत के साथ खड़े होंगे। यही वजह है कि आधिकारिक तौर पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने आज मीडिया से भारत की संभावनाओं को लेकर बहुत ज्यादा आकलन करने से परहेज करने को कहा।
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बहरहाल, अभी भी सबसे बड़ी अड़चन चीन ही है। पीएम नरेंद्र मोदी आज ताशकंद में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से दोपहर में मुलाकात करेंगे। तब तक सिओल में बैठक शुरु हो चुकी होगी। वैसे तो इस बैठक में मोदी और चिनफिंग के बीच हर द्विपक्षीय मुद्दों पर वार्ता होगी। लेकिन माना जा रहा है कि बातचीत के केंद्र में एनएसजी ही होगा। वैसे जानकार इस बात से इनकार कर रहे हैं कि चिनफिंग मोदी से मिलने के बाद चीन के रुख में यू-टर्न आ जाएगा। लेकिन फिर भी जो उम्मीदें हैं वह इसी बैठक से हैं। एक अधिकारी के मुताबिक अगर एनएसजी का मामला नहीं होता तो मोदी इस बैठक में हिस्सा लेने जाते ही नहीं।
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