Russia Ukraine crisis के बीच दोनों में अनाज निर्यात को लेकर हुई डील से जानें- क्या पड़ेगा भारत और अन्य देशों पर असर
यूक्रेन और रूस के बीच अनाज निर्यात को लेकर हुए समझौते से कई देशों ने राहत की सांस ली है। इसकी वजह है कि यूक्रेन के अनाज पर कई देशों की निर्भरता है। भारत भी इनमें से एक है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 23 Jul 2022 05:34 PM (IST)
नई दिल्ली (कमल कान्त वर्मा)। अनाज निर्यात को लेकर यूक्रेन और रूस के बीच हुआ ऐतिहासिक समझौता दुनिया के दूसरे देशों के लिए जहां राहत की खबर है वहीं भारत के लिए भी ये एक बड़ी राहत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत अपनी Sun Flower Oil की जरूरत के लिए यूक्रेन पर ही निर्भर है। इस डील से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सनफ्लावर आयल के दामों में आई तेजी कम होगी, जिसका असर भारत पर भी पड़ेगा। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूक्रेन से निर्यात होने वाले सनफ्लावर आयल का करीब 42 फीसद हिस्सेदारी है। इस लिहाज से इस क्षेत्र में उसकी तूती बोलती है। भारत अपनी जरूरत का करीब 76 फीसद सनफ्लावर आयल यूक्रेन से ही निर्यात करता है। इस लिहाज से रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग का प्रभाव दूसरे मुल्कों के अलावा भारत पर भी पड़ा है।
कई देश यूक्रेन के अनाज पर निर्भर इसके अलावा यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूक्रेन के गेहूं की करीब 9 फीसद, जौ की करीब 10 फीसद और मक्का की करीब 16 फीसद हिस्सेदारी है। इतना ही नहीं विश्व के कुछ देश यूक्रेन के अनाज पर ही निर्भर हैं। इनमें मोलडोवा और लेबनान भी शामिल हैंं। मोलडोवा अपनी जरूरत का करीब 92 फीसद गेहूं और लेबनान अपनी जरूरत का करीब 80 फीसद गेहूं यूक्रेन से आयात करता है।
इन देशों में यूक्रेन के अनाज की मांग इनके अलावा कतर अपनी जरूरत का करीब 64 फीसद, ट्यूनेशिया करीब 48 फीसद, लीबिया और पाकिस्तान करीब 48-48 फीसद, इंडोनेशिया करीब 29 फीसद, मलेशिया और मिस्र करीब 26-26 फीसद और बांग्लादेश करीब 25 फीसद गेहूं यूक्रेन से ही आयात करते हैं। इसके अलावा यूएन की एजेंसी वल्र्ड फूड प्रोग्राम के तहत यूक्रेन के अनाज को इथियोपिया, यमन और अफगानिस्तान की जरूरत को पूरा करने के लिए भी भेजा जाता है।
स्टेपल फूड की कीमतों में तेजी इतना ही नहीं इस वर्ष की शुरुआत में Staple food की कीमतों में आई जबरदस्त तेजी के दौरान दुनिया को उम्मीद थी कि यूक्रेन से कुछ राहत मिलेगी। लेकिन रूस से युद्ध की वजह से इस उम्मीद पर पानी फिर गया। युद्ध से पहले यूक्रेन 90 फीसद एक्सपोर्ट काला सागर के माध्यम से ही करता था। लेकिन युद्ध ने इस रास्ते को बंंद कर दिया। रूस ने यूक्रेने के अधिकतर बंदरगाहों पर कब्जा कर उसको एक्सपोर्ट लाइन को पूरी तरह से बंद कर दिया था।
यूक्रेन के किसानों की समस्या अंतरराष्ट्रीय मार्किट में भी इसकी काफी मांग होती है। बता दें कि यूक्रेन के कब्जे वाले करीब 80 फीसद इलाके में खेती होती है। लेकिन रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से यहां के किसान काफी परेशान हैं। ये किसान अपने अनाज को न तो कहीं ले जा पा रहे हैं और न ही बेच पा रहे हैं। युद्ध की वजह से स्थापीय बाजार में इनकी कीमत भी काफी कम हो गई है। वहीं यूरोप समेत दूसरे कुछ देशों में खाद्य समस्या भी खड़ी हो गई है।
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