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'भारत चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यात्री भेजने से बहुत दूर नहीं', वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-4 के एलान के बाद किया बड़ा दावा

चंद्रयान-4 मिशन को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। 2027 में मिशन को लॉन्च किया जाएगा। भारत 2040 तक अंतरिक्ष में अपना यात्री भेजना चाहता है। इस लिहाज से चंद्रयान-4 मिशन बेहद अहम है। चंद्रमा से सुरक्षित पृथ्वी पर वापसी इस मिशन का मुख्य आकर्षण है। इसरो चंद्रमा के नमूने जुटाएगा। मिशन में दो रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Thu, 19 Sep 2024 03:17 PM (IST)
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चंद्रयान-4 मिशन को केंद्रीय कैबिनेट से मिली मंजूरी। (फोटो- एएनआई)
एएनआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को चंद्रयान मिशन-4 को मंजूरी दी है। सरकार के फैसले पर वैज्ञानिकों ने खुशी व्यक्त की। वैज्ञानिकों का कहना है कि देश अब चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने से बहुत दूर नहीं है। बता दें कि भारत 2027 में चंद्रयान मिशन-4 लॉन्च करेगा। मगर यह मिशन बाकी तीन अभियानों से अलग होगा।

क्यों अहम है चंद्रयान-4 मिशन?

अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने कहा, " इस मिशन के तहत हमें चंद्रमा पर लैंडर उतारना होगा और वहां से पत्थर और चंद्रमा की मिट्टी के नमूने सुरक्षित तरीके से वापस लाने में सक्षम होना होगा। यह चंद्रमा पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने की दिशा में पहला कदम है। इससे चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यात्री भेजने से भारत बहुत दूर नहीं होगा।"

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भारत ने दो तकनीक का किया प्रदर्शन

मिश्रा ने आगे कहा, "भारत सरकार ने तीन कार्यक्रमों को मंजूरी दी है। इनमें से एक चंद्रयान-4 है। हमें खुशी है कि चंद्रयान 3 वहां उतरा... हमने दो महत्वपूर्ण तकनीक का प्रदर्शन किया कि हम चंद्रमा पर कुछ भेज सकते हैं और वापस ला सकते हैं। चंद्रमा पर लैंडिग के 14 दिनों बाद रॉकेट को दाग सकते हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है।"

मिशन में दो रॉकेट का होगा इस्तेमाल

खगोलशास्त्री एवं प्रोफेसर आरसी कपूर ने बताया कि चंद्रयान-4 एक नमूना वापसी मिशन है। इसे दो रॉकेटों के इस्तेमाल से पूरा किया जाएगा। मिशन का प्रक्षेपण 2027 में होगा। इसका पहला रॉकेट जीएसएलवी एमके III जैसा होगा। यह रॉकेट एसेंडर मॉड्यूल और डिसेंडर मॉड्यूल ले जाएगा। वहीं दूसरा रॉकेट बाद में जाएगा। डिसेंडर मॉड्यूल में एक रोबोटिक भुजा लगी होगी। यही भुजा चंद्रमा से नमूने एकत्र करेगी। इसके बाद नमूनों को एसेंडर मॉड्यूल में भेजा जाएगा।

वापस आना चंद्रयान-4 का मुख्य आकर्षण

18 सितंबर यानी बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने जानकारी दी कि इसरो 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस-1) के पहले मॉड्यूल को लॉन्च करने की योजना पर जुटा है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 मिशन का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा पर जाने और वापस आने की तकनीक का प्रदर्शन करना है। वापस आना इसका मुख्य आकर्षण है, क्योंकि चंद्रयान-3 पहले ही वहां उतरने का प्रदर्शन कर चुका है।

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