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मोटे अनाजों के मामले में विश्व का पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक देश है भारत, उपज में 80 प्रतिशत की है हिस्सेदारी

भारत दुनिया में श्रीअन्न का सबसे ज्यादा पैदावार करता है। व्यापार-कारोबार के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप बढ़ रहा है। अभी विश्व का पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक है।संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जबसे 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया है तभी से संपन्न देशों में भारत के श्रीअन्न की मांग बढ़ी है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 19 Mar 2023 09:03 PM (IST)
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संपन्न देशों को भी रास आने लगे भारत के श्रीअन्न।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। मोटे अनाजों (श्रीअन्न) के उत्पादन और खपत में भारत अपनी पुरानी स्थिति को फिर से प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रहा है। भारत दुनिया में श्रीअन्न का सबसे ज्यादा पैदावार करता है। व्यापार-कारोबार के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप बढ़ रहा है। अभी विश्व का पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषित किया है 2023 को मिलेट वर्ष

भारत के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जबसे 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया है, तभी से संपन्न देशों में भारत के श्रीअन्न की मांग बढ़ी है। अमेरिका, जापान, जर्मनी एवं सऊदी अरब जैसे देश भारत में उपजे श्रीअन्न के बड़े आयातक हैं। दिल्ली में 18 मार्च को आयोजित विश्व श्रीअन्न सम्मेलन में जुटे सौ से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भी भारत के इस बढ़ते प्रभुत्व को स्वीकार भी किया है।

मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है भारत

उनका मानना है कि भारत मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है और यह वैश्विक जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम हो सकता है। श्रीअन्न के मामले में विश्व में भारत के बढ़ते प्रभुत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चालू वित्तीय वर्ष (2022-23) में अप्रैल से नवंबर के बीच सिर्फ आठ महीने के दौरान भारत ने संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, नेपाल, अमेरिका, जापान, जर्मनी, बांग्लादेश, मिस्त्र, ईरान एवं ओमान को कुल एक लाख चार हजार 146 टन श्रीअन्न का निर्यात किया है, जिसका मूल्य 365.85 करोड़ रुपये है।

श्रीअन्न की उपज में भारत की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के आंकड़े बताते हैं कि भारत ने वर्ष 2021-22 में कुल 642.8 करोड़ मूल्य के श्रीअन्न का निर्यात किया है, जबकि एक वर्ष पहले 2020-21 में 597.5 रुपये का था। एशिया में श्रीअन्न की उपज में भारत की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है। पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत ने 137.10 से लेकर 180.20 टन तक मोटा अनाज पैदा किया है।

श्रीअन्न के उत्पादन, खपत एवं निर्यात में वृद्धि की संभावना

हालांकि, यह भी पर्याप्त नहीं है और अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग ने 14 राज्यों के 212 जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत 2018-19 से ही पोषक-अनाज (मोटा अनाज) पर एक उप-अभियान चला रखा है। इसके अतिरिक्त अब मिलेट वर्ष के आयोजन के चलते भी श्रीअन्न के उत्पादन, खपत एवं निर्यात में वृद्धि की संभावना है।

कुपोषण से लड़ने में भी प्रभावी

भारत की संस्कृति की तरह मोटे अनाज में भी विविधता है। मुख्य रूप से सात तरीके के श्रीअन्न की खेती होती है, जिनमें बाजरा (पर्ल मिलेट), रागी (फिंगर मिलेट), कंगनी (फाक्सटेल), बारगु (प्रोसो), जुआर (सोरघुम), सामा (लिटिल मिलेट), कोदो (अरका) प्रमुख हैं। भारत का जोर श्रीअन्न के उत्पादन के साथ इसकी खपत बढ़ाने पर भी है। इसलिए कि कुपोषण से लड़ने में श्रीअन्न बहुत कारगर है। अधिक जनसंख्या वाले देशों में कुपोषण बड़ा खतरा है।

प्रोटीन, फाइबर, आयरन एवं कैल्शियम का भरपूर स्त्रोत है श्रीअन्न की प्रजातियों

श्रीअन्न की प्रजातियों में प्रोटीन, फाइबर, आयरन एवं कैल्शियम का समृद्ध स्त्रोत है। यही कारण है कि मोटे अनाज को सुपरफूड भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल करके मोटापा कम करने के साथ ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन एवं दिल की बीमारियों के खतरे को भी कम किया जा सकता है।