भारत को अल-कायदा व कट्टर इस्लामिक ताकतों से खतरा, एफएटीएफ ने कहा जम्मू-कश्मीर में सक्रिय कुछ आतंकवादी संगठन
आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली वैश्विक एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने मनी लांड्रिंग (एम एल) और आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग (टीएफ) को रोकने के लिए भारत के प्रयासों की सराहना की है। हालांकि एफएटीएफ एमएल और टीएफ से जुड़े मामलों की सुनवाई की गति में सुस्ती और उसे अंजाम तक पहुंचाने की दर से संतुष्ट नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली वैश्विक एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने माना है कि भारत को आइएस, अलकायदा व अन्य कट्टर इस्लामिक ताकतों से खतरा है।
ये ताकतें मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं और इनके तार परोक्ष रूप से देश के अन्य भागों से भी जुड़े हुए हैं। पूर्वोत्तर में सक्रिय उपद्रवी संगठन एवं वामपंथी अतिवादी संगठनों को भी एफएटीएफ ने भारत के लिए खतरा बताया है। साथ ही माना है कि भारत वर्षों से आतंकवाद का शिकार रहा है।
टीएफ से जुड़े मामलों की सुनवाई की गति में सुस्त
एफएटीएफ ने मनी लांड्रिंग (एमएल) और आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग (टीएफ) को रोकने के लिए भारत के प्रयासों की सराहना की है। हालांकि एफएटीएफ एमएल और टीएफ से जुड़े मामलों की सुनवाई की गति में सुस्ती और उसे अंजाम तक पहुंचाने की दर से संतुष्ट नहीं है। इस दिशा में उसने भारतीय प्रयास को और तेज की करने की सिफारिश की है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक अभी मनी लांड्रिंग के 864 मामलों तो टीएफ के 1,400 से अधिक मामलों में ट्रायल चल रहा है।भारत वर्षों से आतंकवाद का शिकार रहा- एफएटीएफ
सोमवार को एमएल और टीएफ के मामलों में भारत के मूल्यांकन पर एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट जारी की और भारत उसके अधिकतर मानकों पर खरा उतरा है। रिपोर्ट में 2018 से 2023 के बीच भारत के प्रयासों का मूल्यांकन किया गया है। एफएटीएफ की सिफारिशों पर अमल नहीं करने वाले देशों पर वैश्विक स्तर पर वित्तीय प्रतिबंध लगाया जा सकता है। रिपोर्ट में एफएटीएफ ने भारत में चल रहे गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) पर सख्त नजर रखने की सिफारिश की है क्योंकि इनके जरिये आतंकवाद को फंडिंग की ज्यादा आशंका रहती है। भारत का कहना है कि वह इनसे निपटने में 'सूक्ष्म' दृष्टिकोण अपनाएगा।
आधार आधारित बैंकिंग प्रणाली, बायोमैट्रिक सिस्टम को सराहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते दस वर्षों में जनधन खाते, आधार आधारित बैंकिंग प्रणाली, बायोमैट्रिक सिस्टम के साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने से नकदी के लेनदेन में कमी आई है जिससे पारदर्शिता बढ़ी है और मनी लां¨ड्रग को कम करने में मदद मिल रही है। दो लाख से अधिक के नकदी लेनदेन पर रोक और संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर केवाईसी जैसे नियम लागू करने से रियल एस्टेट में कालेधन के इस्तेमाल में कमी आई है। परंतु अब भी रियल एस्टेट में कालेधन का इस्तेमाल जारी है।पांच वर्षों में लाखों मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई
भारत के जेम्स व ज्वैलरी और फिनटेक सेक्टर में और पारदर्शिता लाने की जरूरत पर एफएटीएफ ने बल दिया है। भारत में पिछले पांच वर्षों में लाखों मुखौटा कंपनियों पर की गई कार्रवाई के साथ विजय माल्या फर्जीवाड़े मामले में वित्तीय रिकवरी और पीड़ित पक्ष (बैंक) को रकम लौटाने की कवायद को भी सराहा गया है।वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, माल्या से जुड़े फर्जीवाड़े मामले में 14,000 करोड़ रुपये पीडि़त पक्ष (बैंक) को वापस किए गए। उन्होंने बताया कि एमएल और टीएफ मामलों के ट्रायल में तेजी लाने के लिए विशेष कोर्ट की स्थापना के साथ कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। जेम्स व ज्वैलरी सेक्टर में नकदी के लेनदेन पर सख्ती की तैयारी है।