Move to Jagran APP

World Health Organization: चार लाख लोगों की जान बचाएगा भारत का जल जीवन मिशन, 101 अरब डॉलर की होगी बचत

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अध्ययन जल जीवन मिशन का लक्ष्य पूरा होने पर भारत को 101 अरब डालर की बचत होगीगांवों में पानी की व्यवस्था में महिलाओं को नहीं लगाना होगा अपना समय हर दिन 6.66 करोड़ घंटे बचेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Fri, 09 Jun 2023 09:27 PM (IST)
Hero Image
जल जीवन मिशन को अंतरराष्ट्रीय सराहना-सम्मान तथा समर्थन मिला है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गांवों में हर घर को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम जल जीवन मिशन का एक बार फिर महत्व रेखांकित हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने न केवल इस मिशन को दुनिया के लिए एक मिसाल बताया है, बल्कि अपने एक अध्ययन के जरिये यह अनुमान व्यक्त किया है कि अगर इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया यानी हर ग्रामीण घर में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति का ढांचा बन गया तो डायरिया के कारण होने वालीं लगभग चार लाख लोगों की मौत को टाला जा सकता है।

यह पहला अवसर नहीं है जब जल जीवन मिशन को अंतरराष्ट्रीय सराहना-सम्मान तथा समर्थन मिला है। इसके पहले नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर का फाउंडेशन गांवों में शिशु मृत्यु दर पर अंकुश लगाने में जल जीवन मिशन के योगदान पर अपनी रिपोर्ट दे चुका है।

स्वच्छता मंत्रालय के कहने पर डब्ल्यूएचओ ने किया अध्ययन

शुक्रवार को एक कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ ने अपने अध्ययन के निष्कर्षों को सार्वजनिक किया। यह अध्ययन पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के कहने पर डब्ल्यूएचओ ने किया ताकि स्वास्थ्य और समाज के क्षेत्र में जलजीवन मिशन के असर को समझा जा सके।

डब्ल्यूएचओ ने अपने अध्ययन में पाया कि अगर इस मिशन के माध्यम से सभी लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचता है तो लगभग 101 अरब डालर की बचत होगी, क्योंकि डायरिया जैसी बीमारियों पर कम खर्च करना पड़ेगा।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 62 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति की व्यवस्था की जा चुकी है। अध्ययन के अनुसार जल जीवन मिशन से डायरिया से लगभग 1.4 करोड़ दिव्यांगता समायोजित जीवन वर्षों (डीएएलवाई) को बचाया जा सकता है। डीएएलवाई की गणना मृत्यु के समय की आयु को अधिकतम संभावित आयु से घटाकर की जाती है।

हर दिन 6.66 करोड़ घंटों की होगी बचत

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि इससे भारत को लगभग 101 अरब डालर का फायदा होगा। स्वास्थ्य के मोर्चे पर इन लाभों के साथ सामाजिक स्तर पर भी जलजीवन मिशन बड़ा असर डालने वाला है। डब्ल्यूएचओ का अध्ययन बताता है कि हर घर में टैप से पानी की आपूर्ति महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं, क्योंकि इससे उन्हें पानी की व्यवस्था में जो समय खपाना पड़ता है, उसमें हर दिन 6.66 करोड़ घंटों की बचत होगी।

अध्ययन के निष्कर्षों को जलआपूर्ति और स्वच्छता से संबंधित डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के साझा कार्यक्रम के सहप्रमुख रिचर्ड जांस्टन ने सामने रखा। जांस्टन ने कहा कि अगर दुनिया को पेयजल और स्वच्छता के संदर्भ में सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करना है तो यह भारत के बलबूते ही होगा। इसके दो कारण हैं- जनसंख्या और आकार। चूंकि आबादी के मुकाबले में भारत दुनिया में सबसे आगे हो गया है इसलिए जो कुछ भारत में होगा, वह पूरी दुनिया के लिए अहम होगा।

जांस्टन के मुताबिक भारत यह दिखा रहा है कि क्या किया जा सकता है। अगर ठान लिया जाए, पूरी प्रतिबद्धता हो और पैसा खर्च करने में संकोच न हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ ने यह अध्ययन तुलनात्मक जोखिम आकलन पद्धति पर किया है। बीमारियों से संभावित नुकसान के आकलन में इसका व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

विश्लेषण में दो संभावित परिदृश्यों की तुलना की गई। पहला परिदृश्य यह है कि किसी क्षेत्र में कुछ घरों में नल से जल की आपूर्ति की व्यवस्था है और फिर जेजेएम के सहारे सौ प्रतिशत कवरेज का लक्ष्य हासिल किया जाता है। दूसरा परिदृश्य यह है कि कुछ घरों में नल से जल की आपूर्ति की व्यवस्था है और फिर जेजेएम के बिना हर साल आधा प्रतिशत परिवर्तन के साथ कवरेज का दायरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।