पाकिस्तान में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता पर भारत की सतर्क नजर, इमरान खान की गिरफ्तारी पर नहीं की कोई टिप्पणी
आधिकारिक तौर पर भारत ने इमरान खान की गिरफ्तारी पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन इस बात की सूचना मिली है कि परमाणु संपन्न इस पड़ोसी देश के हर पल के हालात की लगातार निगरानी की जा रही है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 10 May 2023 04:03 AM (IST)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी के साथ ही पाकिस्तान लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता की जाल में फंसता दिख रहा है। खास तौर पर मौजूदा अस्थिरता को जिस तरह से पाकिस्तानी सेना के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, उसके दूरगामी असर की बातें कही जा रही है।
पड़ोसी मुल्क पर भारत की पैनी नजर
अपने पड़ोसी देश में चल रही राजनीतिक उठापटक पर भारत की पैनी नजर तो है ही साथ ही वह सीमा की चौकसी व कश्मीर की आतंरिक सुरक्षा इंतजामों को लेकर भी बेहद सतर्क है। आधिकारिक तौर पर भारत ने इमरान खान की गिरफ्तारी पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन इस बात की सूचना मिली है कि परमाणु संपन्न इस पड़ोसी देश के हर पल के हालात की लगातार निगरानी की जा रही है।
पाकिस्तान को लेकर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने हाल ही में बताया था कि वहां जब तक राजनीतिक स्पष्टता नहीं आएगी तब तक रिश्ते सुधारने की कोई बात करने का मतलब नहीं है। यही वजह है कि वर्ष 2018 में जब इमरान खान पाकिस्तानी सेना की मदद से सत्ता में दाखिल हुए थे तब भी भारत ने उनकी सरकार के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने की कोई कोशिश नहीं की।
उल्टा जब भी पाकिस्तान समर्थित आंतकवादियों ने भारत में कोई घटना को अंजाम दिया तो भारत ने उसका करारा जवाब दिया था। यहां तक पिछले हफ्ते गोवा में शंघाई सहयोग संघठन (SCO) के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जो कड़ा बयान दिया उसके पीछे भी यही सोच है कि मौजूदा हुक्मरानों के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश करने का कोई भविष्य नहीं है।
भारत ने पूर्व में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के तभी कदम उठाये हैं जब वहां सत्ता को लेकर निश्चितता रही है। चाहे पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ से लाहौर बस यात्रा हो या पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ के साथ वाजपेयी और बाद मे मनमोहन सिंह सरकार की पहल हो या वर्ष 2015 में पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से नवाज शरीफ की सरकार के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने की पेशकश हो, लेकिन जबसे शरीफ सरकार को वर्ष 2017 में बेदखल किया गया उसके बाद से भारत की तरफ से द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने को लेकर कोई रूचि नहीं दिखाई गई है।
''सेना के निशाने पर हैं इमरान खान''
वजह बताते हुए देश के प्रमुख रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि इमरान खान कभी पाकिस्तान सेना के सबसे पसंदीदा राजनेता रहे हैं। उसकी मदद से ही वह सत्ता हासिल किये थे। अब वह सेना के निशाने पर हैं और इस वजह से ही उनकी गिरफ्तारी हुई है। यह गिरफ्तारी इमरान खान की तरफ से एक खुफिया अधिकारी के खिलाफ आरोप लगाने और इस आरोप को पाक सेना की तरफ से खारिज किये जाने के एक बाद हुई है।
कूटनीतिक सूत्र बताते हैं कि परमाणु संपन्न पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता को लेकर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे सभी देश चिंतित है। हाल ही चीन, सउदी अरब और यूएई ने पाकिस्तान को साफ तौर पर कहा है कि वहां सरकार की स्थिरता के बाद ही वो उसे आर्थिक मदद दे सकते हैं।दो दिन पहले ही चीन के विदेश मंत्री चिन गांग इस्लामाबाद में थे और उन्होंने वहां राजनीतिक स्थिरता स्थापित करने की अपील की थी। जाहिर है कि इन अपीलों का कोई असर नहीं हुआ है। इससे ना सिर्फ न देशों की तरफ से पाक को मिलने वाली मदद पर असर पड़ेगा, बल्कि अब पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आर्थिक मदद लेना और मुश्किल हो जाएगा। पाकिस्तान भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है और अब आईएमएफ से मिलने वाले पैकेज पर ही उसकी उम्मीद है।