Move to Jagran APP

भारत का सबसे बड़ा मंदिर, जहां भगवान राम ने विभीषण को विष्णु रूप में दिए थे दर्शन; पढ़ें खासियत

Sri Ranganathaswamy Temple आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। यही नहीं यह दुनिया के सबसे बड़े पूजनीय मंदिरों में से भी एक है। यहां भगवान विष्णु श्री रंगनाथ स्वामी एवं मां लक्ष्मी रंगनायकी के रूप में वास करते हैं। जानें इस मंदिर की खासियत।

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 17 Oct 2024 06:03 PM (IST)
Hero Image
155 एकड़ में फैला हुआ है मंदिर का परिसर।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दक्षिण भारत में कई विशाल और प्राचीन मंदिर हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। उन्हीं में से एक है, श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर, जो कि दुनिया के सबसे बड़े पूजनीय मंदिरों में से भी एक है। यह मंदिर तमिलनाडु में कावेरी और कालीदाम नदी के बीच टापू पर स्थित है।

भगवान श्री रंगनाथ स्वामी यानी शेषशैय्या पर लेटे हुए भगवान श्री हरि विष्णु के साथ-साथ यहां भगवान राम, कृष्ण व लक्ष्मी भी मौजूद हैं। मंदिर परिसर 155 एकड़ में फैला हुआ है। माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान राम ने विभीषण को विष्णु रूप में दर्शन दिए थे।

भगवान विष्णु का वास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर में भगवान राम लंबे समय तक देवताओं की पूजा करते थे। इसके बाद रावण पर जीत के बाद उन्होंने विभीषण को यह मंदिर सौंप दिया था। मान्यता है कि लंका से वापसी के दौरान भगवान विष्णु विभीषण के सामने प्रकट हुए थे और इस स्थान पर रंगनाथ के रूप में रहने की इच्छा जताई थी। तब से कहा जाता है कि भगवान विष्णु श्री रंगनाथ स्वामी के रूप में यहां वास करते हैं।

(श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर। Source-tamilnadutourism.com)

इसका गोपुरम दक्षिण भारत में सबसे ऊंचा 237 फीट का है। मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्वस बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इसते अलावा तमिल महीने मार्गजी (दिसंबर-जनवरी) के दौरान वार्षिक 21 दिन का त्यौहार भी किया जाता है, जिसमें लगभग 10 लाख लोग यहां आते हैं।

दीवाली से पहले नौ दिन का ओंजल उत्सव

मंदिर परिसर में अलग-अलग देवी देवताओं के 80 पूजा स्थल हैं। साथ ही दीवारों पर तमिल के साथ-साथ संस्कृत, तेलुगु, मराठी, ओड़िया और कन्नड़ में 800 से अधिक शिलालेख अंकित हैं, जो कि चोल, पांड्य, होयसाल और विजयनगर राजवंशों से सम्बंधित हैं। मंदिर में 1000 स्तंभों का हॉल है, जिसकी संरचना एक थियेटर की तरह है। ग्रैनाइट से बने 1000 स्तंभित हॉल का निर्माण विजयनगर काल (1336-1565) में किया गया था। इन स्तंभों में कुछ मूर्तियां, जिसमें जंगली घोड़े और बड़े पैमाने पर बाघों के घूमते हुए सिर, जो कि प्राकृतिक लगते हैं, को बनाया गया हैं।

(मंदिर का दूर से दृश्य। फोटो- इंटरनेट मीडिया)

दिवाली से पहले यहां पर नौ दिन का ओंजल उत्सव भी मनाया जाता है। इस दौरान, श्री रंगनाथ स्वामी की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है। वैदिक मंत्रों और तमिल गीतों से प्रार्थना की जाती है। परिसर में दूसरा बड़ा मंदिर रंगनायकी का है, जिन्हें श्रीरंग नाचियार भी कहा जाता है। मंदिर में बड़े धार्मिक उत्सवों पर रंगनाथ स्वामी की प्रतिमा को उनकी पत्नी रंग नाचियार के मंदिर में लाया जाता है। मंदिर के कई बड़े उत्सव और पूजा रंगनायकी के मंदिर में होते हैं।