भारतीय नौसेना की बढ़ी ताकत, समुद्र में शान से उतरी ‘वागिर’ तो चीन की चिंता बढ़ी
भारत की स्कॉर्पीन क्लास की पांचवींं सबमरीन को लॉन्च कर दिया गया है। इसको प्रोजेक्ट 76 के तहत मझगांव डॉकयार्ड में तैयार किया गया है। ये कई तरह की खूबियों से लैस है जिसकी वजह से चीन को भी चिंता सताने लगी है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 13 Nov 2020 10:04 AM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। लद्दाख में सीमा पर चीन से तनातनी के बीच भारत लगातार अपनी सैन्य ताकत में इजाफा कर रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागिर को मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड से मुख्य अतिथि व रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक की पत्नी विजया ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये लांच किया।
ऐसे पड़ा नाम : वागिर हिंंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी मछली है, जो बेहद खतरनाक होती है। पहली वागिर पनडुब्बी रूस से आई थी। उसे 3 दिसंबर, 1973 को नौसेना में शामिल किया गया था और 7 जून, 2001 को सेवामुक्त कर दिया गया।
कलवरी श्रेणी
- वागिर कलवरी श्रेणी की छह पनडुब्बियों का हिस्सा है, जिनका निर्माण भारत में किया जा रहा है।
- इन्हें फ्रांसीसी नौसेना एवं ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस ने डिजाइन किया है।
- इनका निर्माण भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत मेक इन इंडिया अभियान के तहत किया जा रहा है।
- इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी कलवरी है। अन्य तीन पनडुब्बियां खंडेरी, करंज व वेला हैं।
- कलवरी व खंडेरी नौसेना में शामिल हो चुकी हैं, जबकि करंज का समुद्री ट्रायल चल रहा है।
- चौथी पनडुब्बी वेला का समुद्री ट्रायल हो चुका है, जबकि छठी वागशीर को भी जल्द लांच किया जाएगा।
- सतह व पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया सूचना एकत्र करने, सुरंग बिछाने व निगरानी में माहिर।
- दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा देने में माहिर।
- टारपीडो हमले के साथ ट्यूब के जरिये छोड़ी जानी वाली पोतरोधी मिसाइल भी लांच करने में सक्षम।
- अन्य पनडुब्बियों से अलग पानी में छिपने में माहिर।
- आवाज कम करती है और इसका आकार इसे पानी में तेजी से चलने में मदद करता है।
इनका क्या है कहना
स्कार्पीन निर्माण हमारे लिए चुनौती थी। इस सरल कार्य की जटिलता बढ़ गई थी, क्योंकि सभी काम कम जगह में पूरे करने थे। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लि.
आइएनएस वागिर के लांच पर भारतीय नौसेना व मझगांव डॉक को बधाई। रक्षा उद्योग में भारत व फ्रांस की पुरानी साझेदारी की एक और बड़ी उपलब्धि।इमैनुएल लेनिन, भारत में फ्रांस के राजदूत
कलवरी श्रेणी की दो पनडुब्बियां नौसेना की सेवा में हैं। उम्मीद है कि बाकी चारों भी जल्द शामिल हो जाएंगी।वाइस एडमिरल आरबी पंडित, पश्चिमी नौसेना कमान प्रमुख