महिला-पुरुष को समान वेतन देने में भारत ने अमेरिका-फ्रांस को भी पछाड़ा, रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत लैंगिक वेतन असमानता को कम करने में अग्रणी देशों में से एक बन गया है। यहाँ पुरुषों और महिलाओं के वेतन में बहुत कम अंतर है, जो लगभग 13,000 से 23,000 डॉलर के बीच है। यह डेटा-आधारित वेतन मॉडल के कारण संभव हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में इंजीनियरिंग और डेटा पेशेवरों के वेतन में गिरावट आई है, लेकिन लैंगिक समानता के मामले में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है।

महिला-पुरुष को समान वेतन देने में भारत ने अमेरिका-फ्रांस को भी पछाड़ा (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने वैश्विक स्तर पर लैंगिक वेतन असमानता को तेजी से कम करते हुए उन देशों की सूची में स्थान बना लिया है, जहां पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन अंतर सबसे कम है। ग्लोबल पेरोल और कंप्लायंस प्लेटफार्म डील की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पुरुषों और महिलाओं का औसत वेतन लगभग बराबर है, जो 13,000 से 23,000 डालर के बीच है।
ये देश में बढ़ती वेतन समानता और डेटा आधारित वेतन माडल लागू किए जाने की वजह से ऐसा संभव हुआ है। इस मामले में भारत ने विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं और पुरुषों के औसत वेतन में सबसे ज्यादा अंतर कनाडा, फ्रांस और अमेरिका में देखा गया है।रिपोर्ट ने 150 देशों के 10 लाख से अधिक कान्ट्रैक्ट्स और 35,000 कंपनियों के डेटा का विश्लेषण किया।
इसमें पाया गया कि वेतन निर्धारण में डेटा-आधारित माडल और पारदर्शिता ने पूर्वाग्रहों को कम किया है। डील के एपीएसी जनरल मैनेजर मार्क समलाल ने कहा कि भारत का यह प्रदर्शन न्यायसंगत और योग्यता-आधारित कार्य संस्कृति की बढ़ती स्वीकृति को दर्शाता है।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में इंजीनियरिंग और डेटा प्रोफेशनल्स के औसत वेतन में साल दर साल 40 प्रतिशत तक की तेज गिरावट दर्ज की गई है, जो 2024 के 36,000 डालर से घटकर 2025 में 22,000 डालर रह गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट कुशल कामगारों की अधिक आपूर्ति और ग्लोबल कास्ट आप्टिमाइजेशन रणनीतियों के कारण हुई है।हाइब्रिड माडल पर बढ़ा जोर भारत में कार्यबल का ढांचा भी तेजी से बदल रहा है।
वर्तमान में 60-70 प्रतिशत कर्मचारी फुल-टाइम हैं, जबकि 30-40 प्रतिशत कान्ट्रैक्ट वर्कर्स के रूप में काम कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि कंपनियां लचीले रोजगार माडल अपना रही हैं।डील के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के महाप्रबंधक मार्क सैमलाल ने कहा कि भारत को उन कुछ देशों में से एक के रूप में उभरते देखना उत्साहजनक है जहां लैंगिक वेतन अंतर में उल्लेखनीय कमी आई है। यह प्रगति निष्पक्षता, पारदर्शिता और डेटा-आधारित वेतन माडल की ओर एक व्यापक बदलाव को दर्शाती है जो पक्षपात के बजाय योग्यता को महत्व देते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा अब भी उच्चतम वेतन देने वाले देश हैं, जबकि एआइ, साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल मार्केटिंग जैसे कौशल पर 25 प्रतिशत तक प्रीमियम वेतन मिल रहा है। उभरते देशों में भारत और ब्राजील में इक्विटी-आधारित वेतन पैकेज भी तेजी से बढ़ रहे हैं।वैश्विक स्तर पर टेक सेक्टर में लैंगिक वेतन अंतर अब भी चुनौती बना हुआ है, विशेषकर कनाडा और अमेरिका में अंतर अधिक देखा गया है, जबकि भारत के तेज सुधार को एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

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