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निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रूसी गेहूं का प्रयोग करने और फिर से बिक्री करना चाहता है भारत

अब फिर से भारत रूसी गेहूं की खरीद फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है। यह जानकारी टीएएसएस समाचार एजेंसी ने दी है। स्रोत के अनुसार भारत ने पहले यूक्रेन रूस और आस्ट्रेलिया से गेहूं खरीदा था लेकिन वर्तमान में अनाज का आयात बंद कर दिया है।

By AgencyEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Thu, 27 Oct 2022 04:39 PM (IST)
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अब फिर से भारत रूसी गेहूं की खरीद फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है।
 मास्‍को, आईएएनएस| रूस यूक्रेन युद्ध को आठ माह हो चुके हैं। काला सागर में प्रतिबंध के कारण दुनिया को भारी खाद्य संकट का सामना करना पड़ा था। तुर्किये की मध्‍यस्‍थता से यूक्रेन और रूस के बीच दुनिया को गेहूं निर्यात करने के लिए समझौता हुआ था। इस कारण दुनिया को राहत मिली थी। दुनिया में खाद्य वस्‍तुओं के दामों में आए उछाल और घरेलू जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए भारत ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब फिर से भारत रूसी गेहूं की खरीद फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है। यह जानकारी टीएएसएस समाचार एजेंसी ने दी है। स्रोत के अनुसार, भारत ने पहले यूक्रेन, रूस और आस्ट्रेलिया से गेहूं खरीदा था, लेकिन वर्तमान में अनाज का आयात बंद कर दिया है। खरीद को रोकने के फैसले के बारे में कहा गया था कि इसका मौजूदा युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है।

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घरेलू उत्पादकों का समर्थन करने के लिए भारत ने उठाया यह कदम

स्रोत ने समाचार एजेंसी तास को बताया कि 2018 से शुरू होकर भारत ने घरेलू उत्पादकों का समर्थन करने के लिए राष्ट्रीय स्‍तर पर निर्यात और तेजी से सीमित कृषि आयात को बढ़ावा देने के लिए एक देश स्‍तरीय कार्यक्रम शुरू किया, तब से उनके देश ने गेहूं और पीले मटर के आयात को पूरी तरह से रोक दिया था। इसके बजाय भारत कथित तौर पर रूसी गेहूं को आटा और पास्ता जैसे अन्य सामानों में संसाधित करने और उन्हें पड़ोसी देशों में फिर से बेचने के लिए देश में संयुक्त उद्यम स्थापित करना चाहता है।

रूस में बने सामानों का आयात कर सकता है भारत

आउटलेट के अनुसार, यह रूस में निर्मित सामानों का आयात भी कर सकता है, जो भारतीय खुदरा विक्रेताओं द्वारा आर्डर किए जाते हैं। सूत्र ने एजेंसी को बताया कि 2017-2018 के वित्तीय वर्ष में भारत द्वारा आयातित गेहूं की कुल मात्रा 364.5 मिलियन डालर थी। इसमें रूस का हिस्सा 86.87 मिलियन डालर था, जबकि यूक्रेन और आस्ट्रेलिया का हिस्सा 148.93 मिलियन डालर और 125.63 मिलियन डालर था।

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