India-Maldives Row: भारत विरोधी बयान के बाद चौतरफा फंसे मालदीव के तीनों मंत्री, देश-विदेश में होने लगी निंदा
पूर्व विदेश मंत्री ने संकट के दौरान भारत के ऐतिहासिक समर्थन को रेखांकित किया जिसमें 1988 के तख्तापलट के प्रयास और जल संकट और COVID -19 महामारी जैसी हालिया चुनौतियां शामिल हैं। मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री ने भारत-मालदीव संबंधों पर चल रही घटनाओं के प्रभाव और मालदीव के राष्ट्रपति की चीन और तुर्किये की हालिया यात्राओं के महत्व पर भी चर्चा की।
राष्ट्रपति मुइज्जू के चीन दौरे पर दी प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सम्मेलन से हटने और अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए भारत के बजाय चीन को चुनने के बारे में समाचार एजेंसी के सवाल का जवाब देते हुए, पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव के राष्ट्रपतियों के लिए भारत को अपना पहला विदेशी गंतव्य बनाना एक परंपरा रही है, लेकिन हाल ही में यह यात्राएं तुर्किये और चीन की होंगी, जो अजीब है।अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा
मौमून ने मालदीव की विदेश मंत्रालय द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं को दोहराते हुए नस्लवादी और अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्व दिया जाता है, लेकिन हाल की घटनाओं में इस्तेमाल की गई कुछ भाषा अस्वीकार्य है।'देश के विकास में भारत बना समर्थक'
'मंत्रियों को मार्गदर्शन की जरूरत'
मालदीव के मंत्रियों द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों पर मौमून ने उन्हें अस्वीकार्य करार दिया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मैं ऐसी भाषा के लिए बिल्कुल भी माफ नहीं किया जा सकता, लेकिन मेरा मानना है कि उन्हें मार्गदर्शन की जरूरत है, क्योंकि वे युवा हैं और वे ऐसे पदों पर नए हैं।"उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि भविष्य में हम इस तरह की कोई हरकत दोबारा नहीं देखेंगे। मुझे लगता है कि जब कोई संकट होता है, तो उसे संभालने की कोशिश करने से ज्यादा महत्वपूर्ण उसको रोकना। हम निश्चित रूप से भविष्य में ऐसी चीजों को रोकने के लिए काम कर सकते हैं और आवश्यक सम्मान दिखा सकते हैं। यह भी पढ़ें: India-Maldives Row: विवाद के बीच भारतीय और मालदीव राजदूतों की बैठक पर लगी अटकलें, एक पोस्ट ने लगाया विराम पूर्व विदेश मंत्री ने संकट के दौरान भारत के ऐतिहासिक समर्थन को रेखांकित किया, जिसमें 1988 के तख्तापलट के प्रयास और जल संकट और COVID -19 महामारी जैसी हालिया चुनौतियां शामिल हैं।#WATCH | Dhaka, Bangladesh: On India-Bangladesh relations, Bangladesh Minister of Foreign Affairs AK Abdul Momen says, "The relationship between India and Bangladesh is excellent. We suffered under Pakistani subjugation, they tortured us, and then we went to India. India… https://t.co/Og6WDUyFda pic.twitter.com/nUtIGRSjv8
— ANI (@ANI) January 8, 2024
विदेशों में भी होने लगी निंदा
इस विवाद के बीच, बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा, "भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध काफी बेहतरीन हैं। हमें पाकिस्तानी अधीनता का सामना करना पड़ा, उन्होंने हमें प्रताड़ित किया और फिर हम भारत चले गए। भारत ने हमारा समर्थन किया, हमारी मदद की। यहां तक कि आम लोगों ने भी अपना समर्थन दिया। यह ऐतिहासिक संदर्भ है, लेकिन यह पिछले कुछ सालों में खत्म हो गया है। हम एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं। जब तक आपके सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध नहीं होंगे, आप समृद्ध नहीं हो सकते। आप किसी पड़ोसी को शत्रु नहीं बना सकते है।"पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने दी प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव के सांसद की पोस्ट को लेकर जारी विवाद पर मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैं करीबी दोस्तों और पड़ोसियों के बारे में सोचूंगी। उन्होंने आगे कहा कि हम अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बनाए रखेंगे और मालदीव सरकार सभी के साथ मित्रता की हमारी पारंपरिक विदेश नीति को जारी रखेगी।#WATCH | Male: On the row over Maldives MP's post on Prime Minister Narendra Modi, Former Maldives Defence Minister Mariya Ahmed Didi says, "I would think as close friends, as neighbours, as part of the global community, and we would keep our international commitments and… pic.twitter.com/8LipQWAprF
— ANI (@ANI) January 8, 2024