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India-Maldives Row: भारत विरोधी बयान के बाद चौतरफा फंसे मालदीव के तीनों मंत्री, देश-विदेश में होने लगी निंदा

पूर्व विदेश मंत्री ने संकट के दौरान भारत के ऐतिहासिक समर्थन को रेखांकित किया जिसमें 1988 के तख्तापलट के प्रयास और जल संकट और COVID -19 महामारी जैसी हालिया चुनौतियां शामिल हैं। मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री ने भारत-मालदीव संबंधों पर चल रही घटनाओं के प्रभाव और मालदीव के राष्ट्रपति की चीन और तुर्किये की हालिया यात्राओं के महत्व पर भी चर्चा की।

By Agency Edited By: Shalini Kumari Updated: Mon, 08 Jan 2024 05:48 PM (IST)
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मालदीव की पूर्व विदेश मंत्री दुन्या मौमून (सोशल मीडिया)
एएनआई, नई दिल्ली। भारत विरोधी बयान को लेकर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि मालदीव में भी तीनों मंत्रियों की निंदा की जा रही है। दरअसल, मालदीव की पूर्व विदेश मंत्री दुन्या मौमून ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया लक्षद्वीप यात्रा को निशाना बनाते हुए मालदीव के मंत्रियों की नस्लवादी और अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है।

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक विशेष इंटरव्यू में, मालदीव की पूर्व विदेश मंत्री ने भारत-मालदीव संबंधों पर चल रही घटनाओं के प्रभाव और मालदीव के राष्ट्रपति की चीन और तुर्किये की हालिया यात्राओं के महत्व पर भी चर्चा की।

राष्ट्रपति मुइज्जू के चीन दौरे पर दी प्रतिक्रिया

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सम्मेलन से हटने और अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए भारत के बजाय चीन को चुनने के बारे में समाचार एजेंसी के सवाल का जवाब देते हुए, पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव के राष्ट्रपतियों के लिए भारत को अपना पहला विदेशी गंतव्य बनाना एक परंपरा रही है, लेकिन हाल ही में यह यात्राएं तुर्किये और चीन की होंगी, जो अजीब है।

उन्होंने कहा, "हालांकि, ये यात्राएं किसी भी तरह से भारत के साथ हमारे संबंधों को कमजोर नहीं करती हैं। यह हमारे पड़ोस में सबसे मजबूत शक्ति है और हम इस मजबूत दोस्ती को महत्व देते हैं।"

अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा

मौमून ने मालदीव की विदेश मंत्रालय द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं को दोहराते हुए नस्लवादी और अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्व दिया जाता है, लेकिन हाल की घटनाओं में इस्तेमाल की गई कुछ भाषा अस्वीकार्य है।

'देश के विकास में भारत बना समर्थक'

मौमून ने रक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, कृषि और पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत की सहायता के लिए भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "हां, मुझे कहना होगा कि भारत हमारे सबसे करीबी दोस्तों और समर्थकों में से एक रहा है, खासकर इस देश के विकास में। मुझे इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल और ऐसे कई अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट याद हैं।"

मौमून ने भारत सरकार और मालदीव के नेताओं दोनों से तनाव कम करने और दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती की पुष्टि करने में सहयोग करने की अपील की।

'मंत्रियों को मार्गदर्शन की जरूरत'

मालदीव के मंत्रियों द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों पर मौमून ने उन्हें अस्वीकार्य करार दिया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मैं ऐसी भाषा के लिए बिल्कुल भी माफ नहीं किया जा सकता, लेकिन मेरा मानना है कि उन्हें मार्गदर्शन की जरूरत है, क्योंकि वे युवा हैं और वे ऐसे पदों पर नए हैं।"

उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि भविष्य में हम इस तरह की कोई हरकत दोबारा नहीं देखेंगे। मुझे लगता है कि जब कोई संकट होता है, तो उसे संभालने की कोशिश करने से ज्यादा महत्वपूर्ण उसको रोकना। हम निश्चित रूप से भविष्य में ऐसी चीजों को रोकने के लिए काम कर सकते हैं और आवश्यक सम्मान दिखा सकते हैं।

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पूर्व विदेश मंत्री ने संकट के दौरान भारत के ऐतिहासिक समर्थन को रेखांकित किया, जिसमें 1988 के तख्तापलट के प्रयास और जल संकट और COVID -19 महामारी जैसी हालिया चुनौतियां शामिल हैं।

विदेशों में भी होने लगी निंदा

इस विवाद के बीच, बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा, "भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध काफी बेहतरीन हैं। हमें पाकिस्तानी अधीनता का सामना करना पड़ा, उन्होंने हमें प्रताड़ित किया और फिर हम भारत चले गए। भारत ने हमारा समर्थन किया, हमारी मदद की। यहां तक ​​कि आम लोगों ने भी अपना समर्थन दिया। यह ऐतिहासिक संदर्भ है, लेकिन यह पिछले कुछ सालों में खत्म हो गया है। हम एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं। जब तक आपके सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध नहीं होंगे, आप समृद्ध नहीं हो सकते। आप किसी पड़ोसी को शत्रु नहीं बना सकते है।"

पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने दी प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव के सांसद की पोस्ट को लेकर जारी विवाद पर  मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैं करीबी दोस्तों और पड़ोसियों के बारे में सोचूंगी। उन्होंने आगे कहा कि हम अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बनाए रखेंगे और मालदीव सरकार सभी के साथ मित्रता की हमारी पारंपरिक विदेश नीति को जारी रखेगी।

मालदीव का भारत से है गहरा नाताः मारिया दीदी

मारिया अहमद दीदी ने कहा कि भारत एक पड़ोसी के रूप में हमेशा मालदीव और मालदीव के लोगों के साथ खड़ा रहा है। हमारी हमेशा से भारत को लेकर प्रथम की नीति रही है और मुझे आशा है कि नई सरकार इस नीति को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने आगे कहा कि भारत ही है, जो मालदीव के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए और जरूरत पड़ने पर हमेशा साथ खड़ा रहता है। 

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