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चीन में कोरोना लंबा चला तो भारत को हो सकती है कच्चे माल की किल्लत, फार्मा क्षेत्र पर पड़ेगा खासा असर

वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान भारत ने चीन से 60.27 अरब डॉलर का आयात किया। इस अवधि में भारत ने चीन सिर्फ 8.8 अरब डॉलर का निर्यात किया। इसलिए चीन में होने वाले निर्यात के प्रभावित होने पर भी भारत के कुल निर्यात पर खास फर्क नहीं पड़ेगा।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 26 Dec 2022 09:28 PM (IST)
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चीन से कारोबार करने वाले विभिन्न देशों के खरीदार भारत के संपर्क में
राजीव कुमार, नई दिल्ली। चीन में कोरोना की नई लहर की अवधि लंबी हुई तो कई वस्तुओं के उत्पादन के लिए कच्चे माल की किल्लत हो सकती है। हालांकि अभी चीन से कच्चे माल की सप्लाई हो रही है, लेकिन यह सप्लाई कब तक जारी रहेगी, इसे लेकर कारोबारी अनिश्चितता जाहिर कर रहे हैं। चीन से होने वाले कुल आयात में 85 फीसद हिस्सेदारी कच्चे माल की होती है। जनवरी तक हालात में सुधार नहीं होने पर कच्चे माल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है। खासकर केमिकल्स और फार्मा को लेकर बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।

चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान भारत ने चीन से 60.27 अरब डॉलर का आयात किया। वहीं इस अवधि में भारत ने चीन सिर्फ 8.8 अरब डॉलर का निर्यात किया। इसलिए चीन में होने वाले निर्यात के प्रभावित होने पर भी भारत के कुल निर्यात पर खास फर्क नहीं पड़ेगा। भारत के साथ चीन में भी निर्माण कार्य करने वाले एवं फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के पूर्व चेयरमैन शरद कुमार सराफ ने बताया कि चीन में उनकी दो फैक्टरियां हैं और कोरोना की वजह से 40 फीसद से अधिक कर्मचारी फैक्ट्री नहीं आ रहे हैं।

उनके 20 फीसद से अधिक कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। सराफ ने बताया कि कच्चे माल का स्टॉक रखने वाले भारतीय कारोबारी को तो फिलहाल राहत है, लेकिन स्टॉक रखने की एक सीमा होती है। कच्चे माल का विकल्प नहीं मिलने पर दिक्कत हो सकती है।

भारत केमिकल्स और फार्मा संबंधित उत्पादन से जुड़े कच्चे माल के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर करता है। इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्टि्रकल्स वस्तुओं से जुड़े कच्चे माल भी चीन से आते हैं। चीन से आयात करने वाले कारोबारियों ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए चीन की फैक्टरियों व लॉजिस्टिक कंपनियों में नए साल की छुट्टी समय से पहले दे दी गई है। टेक्सटाइल मैन्यूफैक्चरिंग के लिए मशहूर झिजियांग में दो महीने की छुट्टी कर दी गई है।

जानकारों के मुताबिक चीन में अधिकतर ट्रक ड्राइवर भी कोरोना की चपेट में आ गए हैं जिससे सप्लाई प्रभावित हो रही है। माल पोर्ट तक नहीं पहुंच पा रहा है। कारोबारियों ने बताया कि चीन की जगह दूसरे देशों से कच्चे माल की खरीदारी उन्हें महंगी पड़ेगी। क्योंकि दूसरे देश के विक्रेताओं को चीन में चल रहे संकट का पता है और वे इसका फायदा उठाएंगे।

चीन में संकट भारत के लिए अवसर

इन चुनौतियों के बीच भारतीय निर्यातकों को अवसर भी दिख रहा है। गारमेंट निर्यातक एवं अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के नॉर्दर्न चेयरमैन ललित ठुकराल ने बताया कि जापान समेत कई देश के खरीदार उनसे संपर्क कर रहे हैं। चीन में अगले दो-तीन महीने तक हालात सामान्य नहीं होने वाले हैं और जिन खरीदारों को माल की जरूरत है, उन्हें भारत प्रमुख विकल्प के रूप में दिख रहा है। निर्यातकों ने बताया कि ताइवान और अमेरिका के खरीदार भी उनके संपर्क कर रहे हैं।

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