'CAA हमारा आंतरिक मामला है, सीमित समझ रखने वाले हमें ना बताएं', अमेरिका को भारत का करारा जवाब
India Replied To America On CAA भारत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अमेरिका की टिप्पणी का जवाब दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि CAA भारत का आंतरिक मामला है। CAA लागू होने पर अमेरिका का बयान गलत और अनुचित है। इससे लोगों को नागरिकता दी जाएगी न कि उनकी नागरिकता छीनी जाएगी। भारत के इतिहास का सीमित ज्ञान रखने वाले व्याख्यान देने का प्रयास न करें।
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिका ने भारत में सीएए लागू करने को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि वह इस पर कड़ी नजर रख रहा है। इसको लेकर भारत ने अब अमेरिका को जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीएए राज्यविहीनता के मुद्दे को संबोधित करता है, मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है।
सीएए की आलोचना करने पर भारत ने दिया जवाब
भारत ने अमेरिका विदेश मंत्रालय को जवाब देते हुए कहा, "नागरिकता संशोधन अधिनियम अपनी समावेशी परंपराओं, मानवाधिकारों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए भारत का आंतरिक मामला है। नागरिकता (संशोधन) कानून नागरिकता देने के लिए है, यह नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।
सीएए के कार्यान्वयन पर अमेरिकी विदेश विभाग के बयान को विदेश मंत्रालय ने गलत, अनुचित और बेतुका बताया है। विदेश विभाग ने कहा, "भारतीय संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, ऐसे में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर चिंता का कोई आधार नहीं है।"
प्रशंसनीय पहल को राजनीति से जोड़ना ठीक नहीं
सीएए के खिलाफ आलोचना को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए किए गए प्रशंसनीय पहल को वोट बैंक की राजनीति से जोड़ना सही नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं, विभाजन के बाद के इतिहास की समझ नहीं है वह इस मुद्दे पर व्याख्यान और ज्ञान न दें।
अमेरिका ने अधिनियम को लेकर जताई चिंता
दरअसल, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम 11 मार्च से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना के बारे में चिंतित हैं।यह भी पढ़ें: भारत में CAA कानून लागू होने पर अमेरिका ने जताई चिंता, दिया लोकतंत्र पर 'ज्ञान'; कहा- इस पर हमारी करीबी नजर
मिलर ने कहा, "हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।"यह भी पढ़ें: CAA लागू रहेगा या लगेगी रोक! सुप्रीम कोर्ट में सभी याचिकाओं पर 19 मार्च को होगी सुनवाई