India or Bharat: नागरिक इंडिया या भारत कहने को स्वतंत्र: सुप्रीम कोर्ट
India or Bharat Controversy जी-20 सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर से दिए रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने से उपजे विवाद के संबंध वर्ष 2016 में इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख प्रासंगिक हो गया है। इंडिया बनाम भारत के ताजा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का रुख देश के दोनों नामों को समान स्वीकृति देने पर है।
नई दिल्ली, पीटीआई। इंडिया बनाम भारत के ताजा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का रुख देश के दोनों नामों को समान स्वीकृति देने पर है। सर्वोच्च अदालत में एक जनहित याचिका को खारिज कर अपने फैसले में कहा था कि देश का नाम भारत या इंडिया बुलाने पर देश के सभी नागरिक स्वतंत्र हैं।
प्रेसिडेंट ऑफ भारत पर सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात
जी-20 सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर से दिए रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने से उपजे विवाद के संबंध वर्ष 2016 में इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख प्रासंगिक हो गया है।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और जस्टिस यूयू ललित (अब दोनों सेवानिवृत्त) की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल की जनहित याचिका को खारिज करते हुए पूछा था भारत या इंडिया? अगर आप भारत बुलाना चाहते हैं तो अवश्य बुलाइये।
देश को इंडिया के बजाय भारत कहने की कोई जरूरत नहीं
अगर को देश को इंडिया बुलाना चाहता है तो उन्हें इंडिया बुलाने दीजिए। फिलहाल जी-20 के निमंत्रण पत्र के कारण विपक्ष की आलोचना की शिकार हो रही केंद्र सरकार ने तब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि देश को इंडिया के बजाय भारत कहने की कोई जरूरत नहीं है।
सरकार ने कहा कि परिस्थितियों में ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद एक को बदलने पर विचार करने की जरूरत हो। जनहित याचिका का विरोध करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि देश के नाम के संबंध में संविधान सभा में गहन बहस हुई थी।
संविधान के अनुच्छेद 1 (1) के अनुसार भारत जो कि इंडिया है, राज्यों का संघ होगा। सुप्रीम कोर्ट ने तब याचिकाकर्ता को ऐसी याचिका पर फटकार भी लगाई थी।