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गरीब व विकासशील देशों की आवाज को बुलंद करने में भारत ने अहम भूमिका निभाई, G20 में फैसले पर लगेगी मुहर

जी-20 समूह की वित्तीय बैठकों में भारत ने गरीब व विकासशील देशों की आवाज को बुलंद करने में अहम भूमिका निभाई। भारत ने अपनी अध्यक्षता में इन देशों में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए वित्तीय समावेश और उनके सतत विकास का रोडमैप तैयार किया है। हालांकि सभी मुद्दों पर अंतिम फैसला 9 व 10 सितंबर को जी-20 देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक में किया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Wed, 06 Sep 2023 09:44 PM (IST)
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G20 Summit: पीएम नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। G20 Summit: जी-20 समूह (G20 Summit) की वित्तीय बैठकों में भारत ने गरीब व विकासशील देशों की आवाज को बुलंद करने में अहम भूमिका निभाई। भारत ने अपनी अध्यक्षता में इन देशों में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए वित्तीय समावेश और उनके सतत विकास का रोडमैप तैयार किया है।

G20 में फैसले पर लगेगी मुहर

भारत की अध्यक्षता में कई ऐसे मुद्दों पर लगभग सहमति बन चुकी है, जिससे गरीब व विकासशील देशों के आर्थिक विकास के साथ आने वाले समय में उन्हें वैश्विक एजेंसियों से वित्तीय मदद भी आसानी से मिल सकेगी। हालांकि, सभी मुद्दों पर अंतिम फैसला 9 व 10 सितंबर को जी-20 (G20 Summit) देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक में किया जाएगा। अध्यक्ष होने के नाते भारत को ही जी-20 देशों के वित्त मंत्री व केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठकों का एजेंडा तय करना था।

किन-किन मुद्दों पर सहमति

क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए वैश्विक फ्रेमवर्क, डिजिटल पब्लिक इंफ्रा के विकास से लेकर जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए एमडीबी के फ्रेमवर्क में बदलाव, शहरों को भविष्य के लायक बनाने के लिए उनकी वित्तीय व्यवस्था, कर्ज में डूबे गरीब देशों को उबारने की कवायद व इंटरनेशनल टैक्स व्यवस्था।

क्रिप्टोकरेंसी

जी-20 देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक में यह फैसला किया जा सकता है कि क्रिप्टोकरेंसी को वैश्विक स्तर पर कैसे रेगुलेट किया जाए, उसका तरीका क्या हो। वित्त मंत्रियों की बैठक में बनाई गई कमेटी ने इसका फ्रेमवर्क तैयार कर दिया है। अब अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष व अन्य वैश्विक वित्तीय एजेंसियां इसे रेगुलेट करने की रूपरेखा तय करेंगी। क्रिप्टो के पूरी तरह से टेक्नोलॉजी से जुड़े होने के नाते एक अकेला देश इसे रेलुगेट नहीं कर सकता है।

नई जरूरतों की पूर्ति करने में मदद करेगा एमडीबी

वित्त मंत्रियों की पूर्व की बैठक में एमडीबी (मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक) का दायरा बढ़ाने के लिए कमेटी बनाई गई थी, जिसकी सिफारिश को सभी जी-20 देशों ने स्वीकार्य योग्य बताया है। मुख्य रूप से एमडीबी जलवायु परिवर्तन व डिजिटल पब्लिक इंफ्रा से जुड़ी जरूरतों की पूर्ति के लिए वित्तीय मदद देगा।

डीपीआई से वित्तीय समावेश

भारत ने जिस तरह खुद डीपीआई की मदद से अपना वित्तीय समावेश किया है, वैसे ही अन्य विकासशील व गरीब देशों का वित्तीय समावेश किया जा सकता है। भारत के इस प्रस्ताव को भी स्वीकार योग्य माना गया है। वहीं भारत ने गरीब व विकासशील देशों के सतत विकास का भी फार्मूला तैयार किया जिससे उन देशों में भी गरीबी कम हो सके।

शहरों को भविष्य के लायक बनाना

शहरों को भविष्य के लायक बनाने के लिए स्थानीय निकाय की प्रशासनिक क्षमता का विस्तार किया जाएगा। उनके लिए वित्तीय मॉडल तैयार किया जाएगा ताकि शहर अपने विकास को लगातार जारी रख सके। इसके लिए कुछ शहरों का चयन कर वहां पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा।

जलवायु संबंधी वित्तीय व्यवस्था

जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए परंपरागत आर्थिक व्यवस्था की जगह नई व्यवस्था को अपनाने की जरूरत है। लेकिन गरीब व विकासशील देशों में यह तभी संभव हो सकता है जब वित्तीय व्यवस्था हो।

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