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रूस-अमेरिका के बीच परमाणु संधि ठप होने से भारत की बढ़ेगी परेशानी, जानें- क्या कहते हैं एक्सपर्ट

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को घोषणा की है कि रूस नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (START) में अपनी भागीदारी स्थगित कर दी है। दोनों देशों के बीच आखिरी सक्रिय परमाणु हथियार नियंत्रण समझौते से हटकर रूस पश्चिमी देशों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 23 Feb 2023 07:28 PM (IST)
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की फाइल फोटो।

नई दिल्ली (पीटीआई)। यूक्रेन संकट के बीच रूस-अमेरिका में परमाणु हथियार नियंत्रण समझौता ठप हो गया है। इस बारे में सामरिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को रूस से संयम बरतने का आग्रह करना चाहिए और रूस एवं अमेरिका को बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि इन दोनों सैन्य ताकतों के संबंधों में टकराव भारत के लिए भी झटका है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को घोषणा की है कि रूस नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (START) में अपनी भागीदारी स्थगित कर दी है। दोनों देशों के बीच आखिरी सक्रिय परमाणु हथियार नियंत्रण समझौते से हटकर रूस पश्चिमी देशों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

भारत को करना होगा चीन-पाकिस्तान का मुकाबला

रूस में भारत के पूर्व राजदूत पंकज सरन ने कहा कि भारत के लिए अमेरिका और रूस के बीच तनाव का बढ़ना कई कारणों से एक रणनीतिक झटका है। पूर्व राजदूत अनिल वाधवा का कहना है कि भारत का परमाणु हथियार और डिलीवरी प्रणाली विकास कार्यक्रम कुछ समय से ठप है।

ऐसे में यदि हमारे चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी और ईरान, सऊदी अरब एवं उत्तरी कोरिया जैसे आसपास के देश परमाणु हथियारों की दौड़ बंद नहीं करते हैं तो भारत के लिए यह जरूरी हो जाएगा कि हम अपने परमाणु हथियारों और इनकी डिलीवरी प्रणालियों में बढ़ोतरी करे।

ऐसे में भारत को भी अपने संसाधनों का बड़ा हिस्सा हथियारों के निर्माण एवं खरीद पर खर्च करना पड़ेगा। इटली,पोलैंड, ओमान और थाईलैंड में राजदूत रह चुके बाधवा का मानना है कि भारत को रूस और अमेरिका को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही, जी-20 समन्वयक के रूप में यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाना चाहिए।

1972 से बरकरार हथियार संतुलन होगा प्रभावित

संधि स्थगित होने से अमेरिका सीधे प्रभावित होगा। अगर रूस डेटा आदान-प्रदान और जानकारियां साझा करना बंद कर देता है तो इससे दोनों देशों के बीच 1972 से बरकरार रणनीतिक हथियार नियंत्रण संतुलन बिगड़ जाएगा। इससे गलतफहमी की संभावना बढ़ जाएगी और हथियारों की दौड़ को बढ़ावा मिलेगा। रूस ने बेशक अभी इस संधि से हटने की घोषणा नहीं की है। फिर भी बातचीत से पीछे हटना भी दुनिया की दो सबसे बड़ी परमाणु हथियार ताकतों के बीच सामरिक स्थिरता के लिए गंभीर झटका है।

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