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    दुष्कर्म के मामलों में पांच में से सिर्फ एक आरोपी को हो पाती है सजा, NCRB की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार दुष्कर्म के मामलों में कानूनी प्रावधानों के बावजूद सजा की दर कम है। 2023 में दुष्कर्म के 40393 मामले दर्ज हुए जिनमें से अदालत ने केवल 22.7% मामलों में ही आरोपियों को दोषी पाया। अपहरण और दंगे के मामलों में भी सजा की दर निराशाजनक है।

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    दुष्कर्म के मामलों में पांच में से सिर्फ एक आरोपी को हो पाती है सजा (फाइल फोटो)

    नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। दुष्कर्म के मामले में कड़े कानूनी प्रविधानों का असर इसके आरोपियों को सजा दिलाने में नहीं दिख रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं।

    दो दिन पहले 2023 के जारी आंकड़ों के मुताबिक दुष्कर्म के मामलों में अदालत से पांच में से सिर्फ एक आरोपी को ही सजा मिली है, बाकी चार छूट गए थे। अपहरण के मामले में भी यही स्थिति है। सबसे खराब स्थिति है दंगे के मामलों की है, जिसमें छह में से एक आरोपी को सजा मिली है।

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    क्या है रिपोर्ट में?

    हत्या के मामलों में भी तीन में से दो आरोपियों को ही सजा मिली थी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में पूरे देश में दुष्कर्म के 40,393 केस दर्ज किये गए थे। पुलिस ने जांच के बाद इनमें से 24,582 यानी 80.3 फीसद मामलों में अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

    पिछले सालों के लंबित मामलों को जोड़ लें तो 2023 में दुष्कर्म से जुड़े 2,03,067 केस का ट्रायल विभिन्न अदालतों में चल रहा था। सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 4,464 मामलों में ही आरोपितों को दोषी पाया और सजा सुनाई, जो फैसला सुनाए गए दुष्कर्म के कुल मामलों का 22.7 फीसद है।

    अदालत में कितने मामले आए?

    वैसे रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि कुल कितने मामलों में आरोपितों को आरोप से मुक्त कर दिया गया था। अपहरण से जुड़े मामलों में सजा की दर इससे भी कम है। रिपोर्ट के अनुसार 2023 में 1,80,591 दर्ज मामलों में केवल 37 फीसद यानी 42,635 में पुलिस जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल कर सकी।

    अदालत के सामने ट्रायल पर 3,51,090 मामले थे। सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने केवल 3,541 यानी 20.2 फीसद मामलों में ही आरोपितों को दोषी पाया और सजा सुनाई। इसी तरह से दंगे के मामले में केवल 17.4 फीसद में ही आरोपितों को सजा हुई। जबकि हत्या के मामलों में सजा की दर 37.7 फीसद है।