तेल के खेल में अब भारत देगा रूस और ओपेक देशों को पटखनी, रणनीति है तैयार
आपको बता दें कि भारत दुनिया में तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीददार है। भारत की जरूरत का करीब 63 फीसद तेल खाड़ी देशों से ही खरीदा जाता रहा है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ रही कच्चे तेल की कीमतों ने सरकार के लिए चिंता बढ़ा दी है। कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने का सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ता है और देश में महंगाई को बढ़ावा मिलता है। भारत की सबसे बड़ी परेशानी विश्व बैंक की उस रिपोर्ट को लेकर भी बनी हुई है जिसमें तेल के दामों में 20 फीसद तेजी की बात कही गई है। यदि ऐसा हुआ तो कच्चे माल समेत दूसरी सेवाओं और उत्पादों की कीमतों में भी करीब दो फीसद की तेजी आ जाएगी। आपको बता दें कि भारत दुनिया में तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीददार है। भारत की जरूरत का करीब 63 फीसद तेल खाड़ी देशों से ही खरीदा जाता रहा है। पूरी दुनिया में ईरान, इराक, सऊदी अरब और वेनेजुएला इसके सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हैं। भारत ने वर्ष 2017 में करीब 44 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल का आयात किया था।
75 डॉलर प्रति बैरल पहुंची तेल की कीमततेल उत्पादक देशों पर दबाव बनाने की कवायद
भारत की रणनीति
भारत ने खाड़ी देशों की जगह अब अमेरिका की शेल ऑयल कंपनी से बड़े सौदे किए हैं। इसके अलावा भारत का पूरा जोर तेल के बड़े रिजर्व भंडार बनाने पर भी है। भारत की रणनीति है कि रिजर्व भंडार के होने पर भारत तेल की कम कीमत होने पर ज्यादा खरीदारी करेगा। इसके अलावा भारत ने अमेरिका से 44 अरब डॉलर का करार किया है जिसके तहत अमेरिका रिफाइनरी का निर्माण करेगा। इसके माध्यम से भारत को अमेरिका से सस्ता कच्चा तेल मिलेगा। भारत का मकसद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों को वास्तविक स्तर पर बनाए रखने का है जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ सके। इसके लिए भारत की तेल कंपनियों को ओपेक देशों से दोबारा वार्ता करने को भी कहा गया है।सरकार का बढ़ जाएगा तेल पर खर्च
ओपेक की निंदा कर चुका है अमेरिका
आपको बता दें कि चीन और भारत दुनिया में सबसे बड़े तेल आयातक हैं। जबकि अमेरिका अब भी तेल की खपत वाला सबसे बड़ा देश है। वह प्रतिदिन 19.53 मिलियन बैरल तेल का उपभोग करता है, जो कि वैश्विक खपत का 20 फीसद है। चीन के संदर्भ में यह आंकड़ा 12.02 मिलियन बैरल है और कुल वैश्विक खपत में उसकी हिस्सेदारी 13 फीसद है। तीसरे नंबर पर भारत है, जो 4 फीसद हिस्सेदारी के साथ रोज 4.14 मिलियन बैरल तेल का उपभोग करता है। अमेरिका पहले ही ओपेक और रूस की तेल की कीमत बढ़ाने के लिए निंदा कर चुका है।