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Climate Change: अंटार्कटिका में पर्यटन को लेकर भारत ने जताई चिंता, कहा- बर्फीले महाद्वीप में टूरिज्म नियंत्रित करने की जरूरत

पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरन रिजिजू ने यहां 46वीं अंटार्कटिका संधि सलाहकार बैठक (एटीसीएम) के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि यह बर्फीला विस्तार सिर्फ एक जमा हुआ रेगिस्तान नहीं है बल्कि यह एक गतिशील जीवित प्रयोगशाला है जो सुरक्षा और अध्ययन के लिए हमारी सर्वोच्च प्रतिबद्धता की मांग करती है। पिछले कुछ वर्षों में बर्फीले महाद्वीप में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Wed, 22 May 2024 06:00 AM (IST)
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अंटार्कटिका में पर्यटन को लेकर भारत ने जताई चिंता
पीटीआई, कोच्चि। भारत ने मंगलवार को अंटार्कटिका में नियंत्रित पर्यटन की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि यह एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में बर्फीले महाद्वीप में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कही ये बात

पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरन रिजिजू ने यहां 46वीं अंटार्कटिका संधि सलाहकार बैठक (एटीसीएम) के उद्घाटन के अवसर पर कहा, ''यह बर्फीला विस्तार सिर्फ एक जमा हुआ रेगिस्तान नहीं है बल्कि यह एक गतिशील, जीवित प्रयोगशाला है, जो सुरक्षा और अध्ययन के लिए हमारी सर्वोच्च प्रतिबद्धता की मांग करती है।''

अंटार्कटिका के लिए संसद के रूप में माना जाने वाला एटीसीएम 56 देशों की भागीदारी के साथ बर्फीले महाद्वीप की देखरेख के लिए सर्वोच्च मंच है। इनमें से 29 देशों को सलाहकार का दर्जा मिला है। यह दर्जा निर्णय लेने की शक्तियों के साथ आता है।

एटीसीएम सभी निर्णय सर्वसम्मति से लेता है। यहां चल रही एटीसीएम में अंटार्कटिका में पर्यटन के नियमन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक अलग कार्य समूह बनाया गया है।