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पाकिस्तान की ढुल-मुल नीति पर भारत ने कहा, पहले निर्णय लेता है फिर पीछे हटता है पड़ोसी देश

प्रवक्ता ने कहा पाकिस्तान ने भारत से आयात से क्यों घोषणा की और फिर कुछ घंटों बाद क्यों पीछे हट गया यह पाकिस्तानी अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान इकोनोमिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी (ईसीसी) ने भारत से चीनी कपास और धागे के आयात की अनुमति दी थी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Fri, 02 Apr 2021 10:51 PM (IST)
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की फाइल फोटो
नई दिल्ली, एएनआइ। पाकिस्तान कारोबार के मामले में असंयत देश है। पहले वह व्यापार को शुरू करने की बात कहता है, फिर अपनी घोषणा से पीछे हट जाता है। हम इस बारे में और क्या कह सकते हैं। यह बात विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कही है। वह भारत से चीनी और कपास के आयात के संबंध में पाकिस्तान की घोषणा और फिर उसके पीछे हटने से संबंधित सवाल का जवाब दे रहे थे।

प्रवक्ता ने कहा, पाकिस्तान ने भारत से आयात से क्यों घोषणा की और फिर कुछ घंटों बाद क्यों पीछे हट गया, यह पाकिस्तानी अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान इकोनोमिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी (ईसीसी) ने भारत से चीनी, कपास और धागे के आयात की अनुमति दी थी। भारत से यह आयात जमीनी और समुद्री रास्तों से होना था। ईसीसी पाकिस्तान की व्यापार नीति तय करने वाली शीर्ष संस्था है। लेकिन उसकी घोषणा के अगले ही दिन पाकिस्तान की संघीय सरकार के मंत्रियों की कैबिनेट ने फैसले को पलट दिया। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री इमरान खान ने की थी। कैबिनेट ने कह दिया कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का भारत सरकार का फैसला रद होने पर ही पाकिस्तान उसके साथ व्यापार शुरू करेगा।

हाल ही में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुआ चिट्ठियों का आदान-प्रदान 

पिछले कई हफ्तों से भारत को लेकर पाकिस्तान के रुख में काफी बदलाव आया है। पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना अब भारत के खिलाफ वैसा दुष्प्रचार नहीं कर रहे और कड़वी जुबान नहीं बोल रहे-जैसी पहले बोला करते थे। मार्च में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल जावेद कमर बाजवा ने कहा था कि अब पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ने का समय आ गया है। उन्होंने भारत के साथ रिश्तों पर यह बात कही थी। फरवरी में दोनों सेनाओं ने नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए समझौता किया। हाल ही में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच चिट्ठियों का आदान-प्रदान भी हुआ था।