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    'भारत को विरोधी नहीं, पार्टनर बनाओ', US के लिए उल्टा पड़ेगा ट्रंप टैरिफ का दांव; एक्सपर्ट्स ने बजाई खतरे की घंटी

    डिजिटल डेस्क। विदेश नीति विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत को व्यापार विरोधी मानना अमेरिका के लिए हानिकारक हो सकता है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दबावपूर्ण उपायों से भारत और अमेरिका के बीच दशकों से बने विश्वास को खतरा है और भारत चीन के करीब जा सकता है। भारत रियायती रूसी तेल का रुख कर रहा है।

    By Digital Desk Edited By: Abhishek Pratap Singh Updated: Mon, 18 Aug 2025 03:21 PM (IST)
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    एक्सपर्ट्स ने अमेरिका को किया वॉर्न। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 27 अगस्त से भारतीय आयातों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में विदेश नीति विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि भारत को व्यापार विरोधी मानना यूएस के लिए उल्टा पड़ सकता है।

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    ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (AIIA) की एक नई रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि दबावपूर्ण उपायों से वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच दशकों से बने विश्वास को नुकसान पहुंचने का खतरा है, साथ ही भारत चीन के और करीब भी जा सकता है।

    भारत ने क्यों किया रियायती रूसी तेल का रुख

    विश्लेषकों का कहना है कि भारत के ऊर्जा संबंधी फैसले बाजार की वास्तविकताओं से तय होते हैं। पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं की ओर से कच्चे तेल को यूरोप की ओर मोड़ने के साथ, भारत ने अपने 1.4 अरब लोगों के लिए सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित की और रियायती रूसी तेल का रुख किया।

    अमेरिका के लिए भारत क्यों है अहम?

    जैसा कि भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है, इन आयातों का उद्देश्य अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है। एआईआईए की रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि भारत एक आर्थिक प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार है, जो अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए बेहद अहम है।

    पिछले दो दशकों में 2008 के असैन्य परमाणु समझौते और बढ़ते रक्षा सहयोग जैसे महत्वपूर्ण पड़ावों के जरिए दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। 2024 में वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 129 अरब डॉलर तक पहुंच गया और 2030 तक इसे 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का साझा लक्ष्य है।

    भारत पर नहीं पड़ेगा ट्रंप टैरिफ का असर

    रिपोर्ट में कहा गया है कि क्वाड में भारत की भूमिका और आतंकवाद-रोधी सहयोग उसे अमेरिका के लिए अपरिहार्य बनाता है। 13 अगस्त को एशिया-प्रशांत सॉवरेन रेटिंग्स पर एक वेबिनार में बोलते हुए, एसएंडपी निदेशक यीफार्न फुआ ने कहा कि भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह व्यापार-संचालित अर्थव्यवस्था नहीं है।

    फुआ ने पिछले सप्ताह कहा था, "दीर्घावधि में हमें नहीं लगता कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर पड़ेगा और इसलिए भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बना हुआ है।"

    (न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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