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'हिंद महासागर क्षेत्र में सभी को सुरक्षा देने वाला देश बने भारत...',नई दिल्ली में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन बोले

High Commissioner Philip Green मेरे प्रधानमंत्री ने मुझे साफ तौर पर यह निर्देश दिया है कि मुझे भारत के साथ रिश्तों को जितना संभव हो सके मजबूत करना है गहरा करना है। दोनो प्रधानमंत्रियों के बेहद गर्मजोशी भरे संबंध हैं। दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन को दिए गए साक्षात्कार में नये उच्चायुक्त ग्रीन आस्ट्रेलिया-भारत के रिश्तों की दशा व दिशा पर विस्तार से अपने विचार रखे।

By Jagran NewsEdited By: Babli KumariUpdated: Wed, 15 Nov 2023 07:29 PM (IST)
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आस्ट्रेलिया के नई दिल्ली में नये उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन (फाइल फोटो)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया के नई दिल्ली में नये उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने अपना कार्यभार तब संभाला है जब दोनो देशों के रिश्ते एक ऐतिहासिक मोड़ पर हैं। वैश्विक कूटनीति में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व ने भारत और आस्ट्रेलिया के संबंधों को एक नया आयाम दे दिया है। दोनो देशों के बीच आर्थिक मोर्चे पर भी जबरदस्त संबंध स्थापित होने की नींव रखी जा चुकी है। रक्षा संबंधों के क्षेत्र में भी संबंध मजबूत होते जा रहे हैं।

दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन को दिए गए साक्षात्कार में नये उच्चायुक्त ग्रीन आस्ट्रेलिया-भारत के रिश्तों की दशा व दिशा पर विस्तार से अपने विचार रखे।

प्रश्न: भारत में आस्ट्रेलिया के नये उच्चायुक्त के तौर पर आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी। किन मुद्दों पर आप ज्यादा ध्यान केंद्रित करेंगे।

उत्तर: मेरे प्रधानमंत्री ने मुझे साफ तौर पर यह निर्देश दिया है कि मुझे भारत के साथ रिश्तों को जितना संभव हो सके मजबूत करना है, गहरा करना है। दोनो प्रधानमंत्रियों के बेहद गर्मजोशी भरे संबंध हैं। रिश्तों को मजबूत बनाने की जो सोच है वह सिर्फ भावना आधारित नहीं है बल्कि मेरे ख्याल से तीन ऐसे तथ्य हैं जो द्विपक्षीय रिश्तों को तय कर रहे हैं। पहला, भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक तालमेल के नये युग की शुरुआत हो चुकी है। हम दोनो इस क्षेत्र को ज्यादा आजाद, मुक्त और समावेशी बनाने में रूचि रखते हैं। इससे जुड़े तमाम क्षेत्रों में हम साथ मिल कर काम करने को तैयार हैं। रक्षा, सुरक्षा व दूसरे क्षेत्रों में कई ऐसे काम हैं जो हम साथ कर सकते हैं और करेंगे। दूसरा, आर्थिक है। दोनो देशों के बीच समग्र आर्थिक सहयोग समझौता (सेपा) हो चुका है। हम दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को इससे अधिकतम फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। ऊर्जा, कृषि तकनीक आदि में आस्ट्रेलिया के पास बेहतरीन तकनीक है जिसका फायदा भारत को हो सकता है। इसी तरह से खनिज व धातुओं में हम वैश्विक लीडर हैं और भारतीय उद्योग को, भारत में ऊर्जा बदलाव की तैयारी में मदद कर सकते हैं। तीसरा, आस्ट्रेलिया में रहने वाले दस लाख भारतीय हैं जो वहां के समाज व इकोनमी में बड़ा योगदान कर रहे हैं। ऐसे में मेरे पास जो अगले तीन-चार वर्ष हैं उसमें उक्त तीनों क्षेत्रों में संबंधों को ज्यादा से ज्यादा आगे बढ़ाना है। मैं कोई भी अवसर गंवा नहीं सकता।

प्रश्न: आस्ट्रेलिया की विदेश नीति में हिंद प्रशांत क्षेत्र का क्या महत्व है। भारत को इस परिदृश्य में आप कहां देखते हैं।

उत्तर: हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति आस्ट्रेलिया के भौगोलिक और भूराजनीतिक दृष्टिकोण  से काफी महत्वपूर्ण है। भारत और आस्ट्रेलिया दोनो ही चाहते हैं कि हिंद महासागर का क्षेत्र एक दृढ़, संपन्न, कानून सम्मत क्षेत्र के तौर पर स्थापित हो। हम भारत को  महासागर क्षेत्र में एक प्राकृतिक अगुवा देश के तौर पर देखते हैं। हम चाहते हैं कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में सभी देशों को सुरक्षा प्रदान करने वाले (नेट सिक्यूरिटी प्रोवाइडर) राष्ट्र के तौर पर स्थापित होने में सहयोग करना चाहते हैं।

प्रश्न: भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हाल ही में आर्थिक समझौता हुआ है। इस बारे में आगे और क्या हो रहा है।

उत्तर: समग्र आर्थिक सहयोग समझौते को लेकर दोनो देशों के बीच लगातार वार्ता हो रही है। दो हफ्ते पहले ही आस्ट्रेलिया सरकार की एक टीम नई दिल्ली में इस बारे में बातचीत के लिए थी। पीएम अलबनिजी और मोदी ने अपनी अपनी टीमों को निर्देश दिया है कि सेपा को लेकर बातचीत बगैर किसी बाधा के पूरी होनी चाहिए। हमारी इकोनमी एक दूसरे को मदद करती है, यही वजह है कि आर्थिक सहयोग व कारोबार समझौते (इसीटीए) पर जल्द ही सहमति बन गई थी। इसीटीए के बाद हमारे देश के उद्यमी इसके तहत काम कर रहे हैं। इसका फायदा भारत को भी हो रहा है। भारतीय कृषि उत्पादों का आस्ट्रेलिया में आयात 11 फीसद बढ़ा, वहां भारतीय कपड़ों का आयात 20 फीसद बढ़ा है, भारत के कुछ औद्योगिक उत्पादों का आयात आस्ट्रेलिया में 50 फीसद तक बढ़ा है।

प्रश्न: रक्षा व सुरक्षा में हमारे संबंध किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं

उत्तर: दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग भी ऐतिहासिक स्तर पर है। कई तरह से सहयोग व गतिविधियां चल रही हैं। डिफेंस सेक्टर में सहयोग को लेकर मेरी तीन प्राथमिकताएं होंगी। पहला, समुद्री क्षेत्र में सहयोग को और ज्यादा संचालित करना। हम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (पी-8) की तैनाती कर रहे हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थित बेहद महत्वपूर्ण समुद्री कारीडोर में यह हमारी साझा उत्तरदायित्व के लिहाज से यह व्यवस्था की गई है। दूसरा, हम जब रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहे हैं जो दोनो देशों के रक्षा बलों के बीच ज्यादा से ज्यादा तालमेल होनी चाहिए। मैं चाहता हूं कि हम उस स्तर पर जाएं तहां दोनो देशों की सेनाएं साथ-साथ काम करें, बगैर किसी परेशानी के उपकरणों, परिसंपत्तियों व कर्मियों का आदान-प्रदान करें। तीसरा, सुरक्षा बलों के जवानों के बीच ज्यादा से ज्यादा सहयोग हो तभी रणनीतिक रिश्तों मे गहराई आएगी।

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