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India Space Agency: भारतीय अंतरिक्ष खोज की सफलता के पीछे नेहरू की आत्मनिर्भरता की दृष्टि है- कांग्रेस

कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो की चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आत्मनिर्भरता की दृष्टि है। पार्टी ने कहा कि यह सफलता भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का नेहरू का दृष्टिकोण है। कांग्रेस ने कहा कि इसरो की सफलता के पीछे नेहरू हैं क्योंकि उनकी आलोचना हुई इसके बावजूद उन्होंने दुनिया की शक्तियों के साथ समझौता नहीं किया।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Sat, 26 Aug 2023 11:53 AM (IST)
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भारतीय अंतरिक्ष खोज की सफलता के पीछे नेहरू- कांग्रेस (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस ने शनिवार (26 अगस्त) को कहा कि भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो की चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आत्मनिर्भरता की दृष्टि है। पार्टी ने कहा कि यह सफलता भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का नेहरू का दृष्टिकोण है। साथ ही कांग्रेस ने कहा कि इसरो की सफलता के पीछे नेहरू हैं, क्योंकि उनकी आलोचना हुई इसके बावजूद उन्होंने दुनिया की महान शक्तियों के साथ समझौता नहीं करने का उनका निर्णय लिया। इसकी वजह से ही भारत को अब अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ने का इतना फायदा मिला है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "पाकिस्तानी मीडिया में इसरो की शानदार उपलब्धियों पर काफी टिप्पणी की गई है। वहां इस तथ्य को लेकर दुःख जताया गया है कि पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी SUPARCO की स्थापना 1961 के अंत में ही हो गई थी। जबकि भारत में INCOSPAR की स्थापना उसके बाद 1962 के फरवरी महीने में हुई थी। फिर भी दोनों की उपलब्धियों में ज़मीन-आसमान का अंतर है।"

नेहरू ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था

रमेश ने एक्स पर कहा, "इसरो की सफलता के पीछे की जिस मुख्य वजह को नहीं पहचाना जा रहा है, वो ये है कि पहले दिन से ही नेहरू ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था। जबकि दिल्ली में कुछ आवाजें थीं जो अधिक अमेरिकी भागीदारी की वकालत कर रही थीं। कुछ ऐसे भी लोग थे जो सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ सहयोग की बात कर रहे थे।"

अंतरिक्ष कार्यक्रम को भारतीय प्रोफेशनल्स डिजाइन करेंगे

उन्होंने आगे कहा, "...लेकिन पहले नेहरू और उनके बाद इंदिरा गांधी इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे। अंतरिक्ष कार्यक्रम को भारतीय प्रोफेशनल्स द्वारा डिजाइन, नियंत्रित और संचालित किया जाना था। इसमें वे निश्चित रूप से होमी भाभा, विक्रम साराभाई, सतीश धवन, पीएन हक्सर और कई अन्य लोगों से सलाह लेते थे और उनसे प्रभावित थे।"

रमेश ने जोर देकर कहा, नेहरू युग में साइंस और टेक्नोलॉजी के लिए मजबूत नींव रखी गई और विशाल बुनियादी ढांचे का निर्माण हुआ। ऐसा उन तीखी आलोचना के बावजूद किया गया, जिनमें कहा जाता था कि एक बेहद गरीब देश होने के कारण, भारत के लिए इस तरह का निवेश करना घातक होगा। फिर भी यह एक आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक रूप से उन्नत राष्ट्र का दृष्टिकोण ही है, जो आज भरपूर लाभ दे रहा है।