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समय के साथ कम हो रही है मेघालय की खदान में फंसे 15 लोगों के बचे होने की उम्‍मीद

समय गुजरने के साथ-साथ खदान में फंसे लोगों के बचने की उम्‍मीद भी कम होती जा रही है। आलम ये है कि बचावकर्मी अभी तक यहां पर फंसे लोगों तक ही नहीं पहुंच पा रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 30 Dec 2018 05:29 PM (IST)
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समय के साथ कम हो रही है मेघालय की खदान में फंसे 15 लोगों के बचे होने की उम्‍मीद
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। थाइलैंड में इसी वर्ष जून में फंसे 12 फुटबाल खिलाडि़यों को एक माह बाद खदानसे निकालने की खबरों ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं। लेकिन अब इसी तरह की घटना उत्‍तर-पूर्वी भारत के राज्‍य मेघालय में देखने को मिल रही है। यहां की एक 300 फीट गहरी कोयला खदान में 13 दिसंबर से करीब 15 लोग फंसे हुए हैं। इन लोगों के यहां फंसे होने की खबर भी कुछ दिनों के बाद सामने आई। इस खदानमें फंसे यह 15 लोग दरअसल मजदूर हैं तो अवैध तरीके से कोयला निकालने के लिए घुसे थे। लेकिन इसमें पानी भर जाने की वजह से वह इससे बाहर नहीं निकल पाए और इसमें अंदर फंसते ही चले गए। आपको बता दें कि यह रैट -होल खदान पूर्वी जयंतिया हिल जिले के लुमथारी गांव में एक पहाड़ी के शिखर पर स्थित है। जंगलों से घिरी खदान में समीप ल्यतेइन नदी बहती है, जिसका पानी इस खदान में भर गया और यह मजदूर फंस गए। 

उम्‍मीद हो रही कम 
अब समय बीतने के साथ-साथ इनके बचने की भी उम्‍मीद कम होती जा रही है। दरअसल, खदान हादसे में जीवित बच निकले मजदूर साहिब अली ने बताया कि किसी भी तरह से अंदर फंसे लोगों के जीवित बाहर आने की उम्मीद नहीं है। आखिर कोई आदमी बिना सांस लिए कितने समय तक जिंदा रह सकता है। साहिब असम के चिरांग जिले का निवासी है। उसके साथ अन्य चार मजदूर भी कोयला खदान में पानी भरने के दौरान बच निकले। एनडीआरएफ ने इस तरह की आशंका से इंकार किया है। 

नहीं मिली कामयाबी
अब इन 15 लोगों को निकालने के लिए बचावकार्य चलाया जा रहा है, लेकिन अब तक इसमें बचावकर्मियों को कोई कामयाबी नहीं मिल सकी है। बचावकर्मियों के लिए यहां पर सबसे बड़ी परेशानी खदानकी गहराई और इसमें करीब 70 फीट तक भरे पानी से हो रही है। इसके अलावा दूसरी दिक्‍कत इन बचावकर्मियों के पास जरूरी इक्‍यूपमेंट की कमी भी है।

पहुंच चुकी है विशेषज्ञों की टीम
कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों के बचाव अभियान में नौसेना के गोताखोर शामिल हो गए हैं। गोताखोरों का यह दल विशाखापत्तनम से शनिवार को पहुंचा। बचाव अभियान में शामिल होने के लिए ओडिशा से 21 सदस्यीय अग्निशमन दस्ता और झारखंड के धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइंस के विशेषज्ञों की एक टीम भी पहुंची है।

नदी का भरा है पानी
आपको बता दें कि इस खदानके पास से एक नदी गुजरती है, जिसका पानी इसमें भर गया है। इन अवैध खदानों को यहां की लोकल भाषा में रेट हॉल्‍स कहा जाता है। यहां पर पहुंचने का रास्‍ता भी बेहद दुर्गम है। कहा जा रहा है कि यहां पर अवैध कोयला निकालने का धंधा नियमों को ताक पर रखते हुए स्‍थानीय नेताओं की देखरेख में काफी समय से चल रहा है।

बचाव के इंतजाम नाकाफी
एनडीआरएफ के संतोष कुमार सिंह के मुताबिक एक दिक्‍कत ये भी है कि जो लोग बचावकार्य में जुटे हैं वह लोग केवल 40 फीट गहराई तक ही उतरने में महारत रखते हैं, जबकि इसमें पानी करीब 70 फीट तक भरा हुआ है।

शक्तिशाली पंपों से निकाला जाएगा पानी 
जिले पुलिस अधीक्षक स्यल्वेस्टर नानगत्यंगेर ने बताया कि बचाव दल के साथ ही भुवनेश्वर से किलरेस्कर के 10 उच्च शक्ति के पंप भी लाए गए हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी टीम तैयारी में जुटी है और किसी भी समय पंप अपना काम शुरू कर देंगे। कोल इंडिया लिमिटेड के अन्य आठ पंप दो-तीन दिनों में यहां पहुंच जाएंगे। 370 फीट गहरी खदान से पाने निकालने के लिए किलरेस्कर ब्रदर्स लिमिटेड और कोल इंडिया ने संयुक्त रूप से 18 पंपों की व्यवस्था की है।

बचने की उम्‍मीद हो रही कम
समय गुजरने के साथ-साथ खदान में फंसे लोगों के बचने की उम्‍मीद भी कम होती जा रही है। आलम ये है कि बचावकर्मी अभी तक यहां पर फंसे लोगों तक ही नहीं पहुंच पा रहे हैं। आपको यहां पर बता दें कि यहां पर अवैध खनन के लिए काम करने वालों में बच्‍चे अधिक है। इनका यह काम करने की वजह ये भी है कि क्‍योंकि उन्‍हें इस पेशे में दूसरों की अपेक्षा अधिक पैसा मिलता है। यही वजह है कि यह लोग इसकी तरफ रुख करते हैं। इस तरफ आने की वजह यहां पर फैली बेरोजगारी है। इसके तहत अवैध खनन करवाने वाले गरीब मजदूरों का शोषण भी कर रहे हैं। पैसों के लालच में यह लोग अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।

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