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भारत ने किया अग्नि-5 मिसाइल का आठवां सफल परीक्षण, पांच हजार किमी तक लक्ष्य भेदने में सक्षम, जानें इसकी खूबियां

भारत ने बुधवार को सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह मिसाइल तीन चरणीय ठोस ईंधन का उपयोग करती है। यह उच्च सटीकता के साथ पांच हजार किलोमीटर तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 28 Oct 2021 12:39 AM (IST)
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भारत ने बुधवार को सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
लावा पांडे, बालेश्वर। बैलेस्टिक व क्रूज रेंज की मिसाइलों के लगातार परीक्षण के बाद बुधवार को देश की सबसे ताकतवर मिसाइल कही जाने वाली अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया गया। यह मिसाइल पांच हजार किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य भेदने में सक्षम है। मिसाइल के परीक्षण के साथ ही दुनिया के कई देश इसके लक्ष्य की जद में आ गए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पहली बार ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से रात में इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। अग्नि-5 का यह आठवां सफल परीक्षण है। इसके साथ ही भारत इस तरह की मिसाइल विकसित करने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया है। अभी सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के पास ही ऐसी मिसाइलें थीं।

मील का पत्थर साबित हुआ यह परीक्षण

इस परीक्षण से भारत अमेरिका रूस चीन और फ्रांस के साथ इंटरकान्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल क्लब में शामिल हो गया है। भारत इस तरह की मिसाइल को विकसित करने वाला दुनिया का पांचवा देश बन गया है। अभी सिर्फ अमेरिका रूस फ्रांस और चीन के पास ही ऐसी मिसाइलें थी। रक्षा सूत्रों की माने तो आज का यह अभियान पूरी तरह सफल रहा तथा इस मिसाइल ने हिंद महासागर में अचूक निशाना लगाया। रात्रि कालीन किया गया यह परीक्षण भारतीय मिसाइल कार्यक्रम में मील का पत्थर साबित हुआ है।

जताई पहले इस्‍तेमाल नहीं करने की प्रतिबद्धता

रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत की इस प्रामाणिक न्यूनतम प्रतिरोध वाली नीति के अनुरूप है। यह मिसाइल के पहले इस्‍तेमाल नहीं करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इस मिसाइल का सफल परीक्षण ऐसे समय में किया गया है जब भारत की पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर गतिरोध बरकरार है।

स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड में शामिल किए जाने का रास्‍ता साफ

मालूम हो कि अग्नि-5 मिसाइल परियोजना पर काम एक दशक से अधिक समय पहले शुरू हुआ था। परियोजना की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि यह अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का पहला यूजर ट्रायल है। अधिकारियों का कहना है कि मिसाइल के सफल परीक्षण से स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड में इसके शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड भारत की सामरिक परिसंपत्तियों की देखभाल करती है।

यह है खूबियां

  • अग्नि-5 17.5 मीटर लंबी है जिसका व्यास दो मीटर यानी 6.7 फीट है।
  • यह मिसाइल एक सेकेंड में 8.16 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
  • यह एक साथ डेढ़ टन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
  • इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है
  • यह मिसाल महज 20 मिनट में पांच हजार किलोमीटर की दूरी तय करके दुश्‍मन को तबाह कर सकती है।
  • पूरा एशिया और अफ्रीका महाद्वीप तथा यूरोप के अधिकांश हिस्से इसकी जद में होंगे।
  • यह मिसाइल एक बार छोड़ दी गई तो रोकी नहीं जा सकती है।
  • यह भारत के मिसाइल तरकस का सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
  • इसे सड़क के रास्ते कहीं भी पहुंचाया जा सकता है।
  • इस खूबी के कारण इसे दुश्मन की उपग्रह निगाहों से भी बचाया जा सकता है।
  • इस मिसाइल के तकनीक का इस्तेमाल भारत दुश्मन के उपग्रहों को नष्ट कर सकेगा।
  • इस मिसाइल में तीन स्तरीय ठोस ईंधन वाले इंजन का इस्तेमाल किया जाता है।
कई और मिसाइलों का परीक्षण करेगा भारत

सूत्रों की मानें तो भारत आने वाले दिनों में और कई बैलेस्टिक और क्रूज रेंज की मिसाइलों का परीक्षण करने वाला है। इस मिसाइल के परीक्षण के दौरान डीआरडीओ और आईटीआर से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों का दल मौके पर मौजूद था।

परीक्षण से पहले ही चीन को लगी थी मिर्ची

सूत्रों ने बताया कि तीन चरणों में ठोस प्रणोदक से चलने वाली अग्नि-5 मिसाइल को अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण क्षेत्र के परिसर से सफलतापूर्वक हवा में उड़ाया गया। गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से इस मिसाइल का परीक्षण किए जाने की अटकलें चल रही थीं। इन अटकलों पर चीन भड़क गया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने बयान दिया था कि दक्षिण एशिया के सभी देशों को क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए।  

भारत की सैन्य शक्ति को मिलेगी बड़ी ताकत

जानकारों का कहना है कि इस मिसाइल से भारत की सैन्य शक्ति में बड़ी मजबूती आएगी। अग्नि-5 परियोजना का उद्देश्य चीन के खिलाफ देश की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। सूत्रों की मानें तो अब इसे सेना में शामिल किए जाने की बारी है। इस मिसाइल के सेना में शामिल होने से भारत को अंतर-महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल हो जाएगी जो अब तक अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और उत्तर कोरिया जैसे कुछ ही देशों के पास है। बता दें कि चीन के पास डोंगफेंग-41 जैसी मिसाइलें हैं। इन मिसाइलों की मारक क्षमता 12 हजार से 15 हजार किलोमीटर तक की है।

इस मिसाइल का यह 8वां टेस्ट

  • 19 अप्रैल सन 2012 को अग्नि 5 का पहला परीक्षण मोबाइल लांचर के जरिए से किया गया था।
  • जनवरी 2015 में पहला केंस्टर टेस्ट किया गया था तब इसे रोड मिसाइल लॉन्चर से लंच किया गया था।
  • 10 दिसंबर 2018 को अग्नि-5 का सातवा सफल परीक्षण किया गया था।
चुनिंदा देशों में शामिल हुआ भारत

इस मिसाइल का सफल परीक्षण होते ही भारत उन आठ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइले हैं। सनद रहे कि अग्नि-2,3 और 4 मिसाइलें पहले से ही भारतीय सेना में कमीशन हो चुकी हैं। अग्नि-1 से 4 मिसाइलों की मारक क्षमता 700 से लेकर 3,500 किलोमीटर तक की है। भारत की इस शक्तिशाली मिसाइल का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने मिलकर किया है।